खराब अर्थव्यवस्था की मार झेल रहे पाकिस्तान पर एक और बोझ पड़ने वाला है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (OGRA ) के मूल्य बढ़ाने वाले प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इसके साथ ही सरकारी खजाने पर लगभग 30 अरब रुपये का अतिरिक्त बोझ गया है. बताते चलें कि 1 अप्रैल, 2022 से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण पहले से ही 30 अरब रुपये का बकाया है.
गौरतलब है कि ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (OGRA) ने डीजल की कीमत में 51.32 रुपये प्रति लीटर, पेट्रोल में 21.30 रुपये प्रति लीटर और मिट्टी के तेल में 36.03 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था. ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं करने के प्रधानमंत्री के फैसले के बाद, सरकार को तेल कंपनियों को इस राशि का भुगतान करना होगा.
ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं होने के बावजूद लोगों को महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है. बिजली वितरण कंपनियों को उपभोक्ताओं से अधिक शुल्क लेने की अनुमति दे दी गयी है. पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई के बीच लोगों को फरवरी से अब तक खपत की गई बिजली के लिए 4.8 रुपये प्रति यूनिट की अतिरिक्त कीमत चुकानी होगी. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (NEPRA) ने फरवरी महीने के लिए ईंधन लागत समायोजन (FCA) के कारण बिजली दरों में 4.8 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है. अब बिजली वितरण कंपनियां सभी उपभोक्ताओं से अप्रैल 2022 के बिलिंग महीने में एफसीए चार्ज करेंगी.
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