दावोस में पीएम मोदी.
नई दिल्ली:
दावोस में विश्व में आर्थिक क्षेत्र की महान हस्तियों के सम्मेलन के संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने संस्कृत के श्लोकों का सहारा लेते हुए भारतीय परंपरा और विचारधारा को लोगों के सामने रखा. पीएम ने दावोस संस्कृत के श्लोकों को पढ़ा और उसका मतलब भी बताया. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने विश्व को समावेशी विचार दिए. हमारी संस्कृति समावेशी रही है और हमारी सरकार भी सबका साथ सबका विकास की विचारधारा पर चल रही है.
हजारों साल पहले हमारे मनीषियों ने इसी विचार को आत्मसात कर विश्व को राह दिखाने का काम किया और आज हम भी उसी विचार मानने वाले हैं. प्रकृति से प्यार करने की सीख हमारे ग्रंथों में, हमारी जीवन शैली में शामिल है. पूरे विश्व को परिवार मानने की सीख हमारे मनीषियों ने दी.
यह भी पढ़ें : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पीएम मोदी बोले, आज डाटा सबसे बड़ी संपदा है, 5 बातें
पीएम मोदी ने कहा कि इसी सोच का नतीजा है कि भारत ने कभी किसी के भूभाग और संसाधन का दोहन खुद के लिए नहीं किया.
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत
अर्थात "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े."
पीएम दी दीदने वसुधैव कुटुंबकम की बात कही. इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एवं कुटुम्बकम्). यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है. इसका पूरा श्लोक कुछ इस प्रकार है.
अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्लोक ७१)
VIDEO : नरेंद्र मोदी भाषण देते हुए
अर्थ यह है - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं. उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है.
Care towards the environment is a part of India's culture. @wef #IndiaMeansBusiness pic.twitter.com/imrr47ufJJ
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2018
हजारों साल पहले हमारे मनीषियों ने इसी विचार को आत्मसात कर विश्व को राह दिखाने का काम किया और आज हम भी उसी विचार मानने वाले हैं. प्रकृति से प्यार करने की सीख हमारे ग्रंथों में, हमारी जीवन शैली में शामिल है. पूरे विश्व को परिवार मानने की सीख हमारे मनीषियों ने दी.
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पीएम मोदी ने कहा कि इसी सोच का नतीजा है कि भारत ने कभी किसी के भूभाग और संसाधन का दोहन खुद के लिए नहीं किया.
इसके अलावा पीएम मोदी ने दुनिया के दुखों को दूर करने की बात कही.भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में। हजारो साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया- "भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्याः'' यानि, we the human are children of Mother Earth: PM @narendramodi at the @wef
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2018
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत
अर्थात "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े."
पीएम दी दीदने वसुधैव कुटुंबकम की बात कही. इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एवं कुटुम्बकम्). यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है. इसका पूरा श्लोक कुछ इस प्रकार है.
अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्लोक ७१)
VIDEO : नरेंद्र मोदी भाषण देते हुए
अर्थ यह है - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं. उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है.
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