स्टॉकहोम:
फ्रांसीसी वैज्ञानिक सर्गे हरोशे और अमेरिकी शोधकर्ता डेविड जे. वाइनलैंड को संयुक्त रूप से वर्ष 2012 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक उन्हें यह पुरस्कार उस नई प्रायोगिक विधि की खोज के लिए दिया गया, जिसके तहत व्यक्तिगत क्वोंटम प्रणालियों की गणना की जा सकती है और उसमें बदलाव भी किए जा सकते हैं। अब तक इसे असम्भव समझा जा रहा था।
स्टॉकहोम में रॉयल एकेडमी ऑफ साइंसेज के स्थायी सचिव स्टाफन नोमार्क ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। नोमार्क ने कहा, "इन दोनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार क्वांटम पद्धति के मापने और इसके प्रयोग के लिए दिया गया है।"
रॉयल एकेडमी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से क्वांटम के सबसे छोटे कण को मापने और इसके प्रयोग का आविष्कार किया और इसकी पद्धति विकसित की। महत्वपूर्ण यह है कि इस छोटे कण की क्वांटम और मैकेनिकल प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए यह प्रक्रिया पूरी की गई।
इस नई खोज से क्वांटम भौतिकी पर आधारित सुपर फास्ट कंप्यूटर विकसित किया जा सकता है।
बयान में कहा गया है कि इन वैज्ञानिकों की खोज ने क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में प्रयोगों के लिए नया द्वार खोल दिया है। अब क्वांटम के सबसे छोटे कण को बिना नुकसान पहुंचाए उसका निरीक्षण और पर्यवेक्षण किया जा सकेगा।
इस नई खोज से संभव है कि इस सदी में क्वांटम कंप्यूटर हमारे दैनिक जीवन को पूरी तरह बदल कर रख दे जिस तरह पिछली सदी में पारंपरिक कंप्यूटर ने हमारे जीवन को बदल दिया था।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को जॉन बी. गुरडोन और शिन्या यामानाका को संयुक्त रूप से चिकित्सा क्षेत्र का 2012 का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी। नोबेल पुरस्कार शांति, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक उन्हें यह पुरस्कार उस नई प्रायोगिक विधि की खोज के लिए दिया गया, जिसके तहत व्यक्तिगत क्वोंटम प्रणालियों की गणना की जा सकती है और उसमें बदलाव भी किए जा सकते हैं। अब तक इसे असम्भव समझा जा रहा था।
स्टॉकहोम में रॉयल एकेडमी ऑफ साइंसेज के स्थायी सचिव स्टाफन नोमार्क ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। नोमार्क ने कहा, "इन दोनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार क्वांटम पद्धति के मापने और इसके प्रयोग के लिए दिया गया है।"
रॉयल एकेडमी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से क्वांटम के सबसे छोटे कण को मापने और इसके प्रयोग का आविष्कार किया और इसकी पद्धति विकसित की। महत्वपूर्ण यह है कि इस छोटे कण की क्वांटम और मैकेनिकल प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए यह प्रक्रिया पूरी की गई।
इस नई खोज से क्वांटम भौतिकी पर आधारित सुपर फास्ट कंप्यूटर विकसित किया जा सकता है।
बयान में कहा गया है कि इन वैज्ञानिकों की खोज ने क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में प्रयोगों के लिए नया द्वार खोल दिया है। अब क्वांटम के सबसे छोटे कण को बिना नुकसान पहुंचाए उसका निरीक्षण और पर्यवेक्षण किया जा सकेगा।
इस नई खोज से संभव है कि इस सदी में क्वांटम कंप्यूटर हमारे दैनिक जीवन को पूरी तरह बदल कर रख दे जिस तरह पिछली सदी में पारंपरिक कंप्यूटर ने हमारे जीवन को बदल दिया था।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को जॉन बी. गुरडोन और शिन्या यामानाका को संयुक्त रूप से चिकित्सा क्षेत्र का 2012 का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी। नोबेल पुरस्कार शांति, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है।
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