इंतिजार हुसैन
लाहौर:
भारत में जन्मे उर्दू के लघु कहानी लेखक, शायर और पत्रकार इंतिजार हुसैन का मंगलवार को एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 साल के थे। पिछले सप्ताह उनकी स्थिति खराब होने के बाद उन्हें डिफेंस हॉस्पिटल लाहौर में स्थानांतरित किया गया था। दोपहर में उन्होंने अंतिम सांसें ली।
भारत के उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के दिबाई में सात दिसंबर 1923 को उनका जन्म हुआ था। 1947 में वह लाहौर चले गए थे। 1946 में उन्होंने मेरठ कॉलेज से एमए (उर्दू) किया। 1988 में ‘डेली मशरीक’ से सेवानिवृत्त होने से पहले उन्होंने विभिन्न अखबारों में काम किया।
उन्होंने 2013 में फिक्शन के 'मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार' के लिए अंतिम दौड़ में 10 लेखकों की अंतिम सूची में जगह बनाई थी। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाले वह पहले पाकिस्तानी और पहले उर्दू लेखक थे। उन्होंने ‘गली कूचे’, ‘कांकड़ी’, ‘दीन और दास्तान’, ‘शहर-ए-अफसोस’ ‘खाली पिंजरा’, ‘मोरेनामा’ ‘शहरजाद के नाम’ जैसी चर्चित किताबें लिखीं।
भारत के उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के दिबाई में सात दिसंबर 1923 को उनका जन्म हुआ था। 1947 में वह लाहौर चले गए थे। 1946 में उन्होंने मेरठ कॉलेज से एमए (उर्दू) किया। 1988 में ‘डेली मशरीक’ से सेवानिवृत्त होने से पहले उन्होंने विभिन्न अखबारों में काम किया।
उन्होंने 2013 में फिक्शन के 'मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार' के लिए अंतिम दौड़ में 10 लेखकों की अंतिम सूची में जगह बनाई थी। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाले वह पहले पाकिस्तानी और पहले उर्दू लेखक थे। उन्होंने ‘गली कूचे’, ‘कांकड़ी’, ‘दीन और दास्तान’, ‘शहर-ए-अफसोस’ ‘खाली पिंजरा’, ‘मोरेनामा’ ‘शहरजाद के नाम’ जैसी चर्चित किताबें लिखीं।
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