पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गुस्साए मुस्लिमों के समूह ने मंगलवार को ईसाई दंपति को बुरी तरह पीटा और फिर जिंदा जला दिया। इस दंपति पर आरोप था कि उन्होंने कुरान का अपमान किया।
इस भयावह अपराध की सूचना लाहौर से 50 किलोमीटर दूर कसूर जिले के कोट राधा किशन स्थित गांव से मिली। वैश्विक मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान से कहा है कि ईशनिंदा के आरोपी इसाई दंपति की हत्या के जिम्मेदार लोगों को वह न्याय के कटघरे में खड़ा करे।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र में उप निदेशक डेविड ग्रिफिथ्स ने मंगलवार को कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए और पाकिस्तानी प्रशासन को जोखिम से घिरे समुदायों की जरूरी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, भीड़ के साथ मिलकर हत्या करने की यह निंदनीय घटना हिंसा के उस खतरे का हालिया रूप है, जिसका सामना पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगने के बाद किसी को भी करना पड़ सकता है, जबकि धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति वहां बेहद शोचनीय है।
ग्रिफिथ्स ने कहा, इस तरह की हिंसा पाकिस्तान के दमनकारी ईशनिंदा कानूनों से भड़कती है और इसके कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भय का माहौल और गहराता है। ईशनिंदा का आरोप मात्र ही एक व्यक्ति और उसके पूरे समुदाय को खतरे में डालने के लिए काफी है।
ग्रिफिथ्स ने कहा, इस मामले में, भीड़ जज भी बन गई और सजा देने वाला जल्लाद भी। ईशनिंदा के कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों एवं मानकों का उल्लंघन करते हैं। इनके दुरुपयोग को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए और फिर इन्हें रद्द कर देने के विचार के साथ, इनमें तत्काल सुधार लाया जाना चाहिए।
एमनेस्टी ने कहा कि धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा से निपटने में सरकार की निरंतर विफलता से यही संदेश गया है कि कोई भी व्यक्ति क्रूरतम अपराध कर सकता है और फिर धार्मिक भावनाओं के संरक्षण की आड़ में बचकर निकल सकता है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने कथित तौर पर एक समिति गठित की है, जो इन हत्याओं की त्वरित जांच करेगी। इसके साथ ही सरकार ने प्रांत में ईसाई पड़ोस की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा के आदेश दिए हैं। ग्रिफिथ्स ने कहा, स्थानीय सरकार की प्रतिक्रिया प्रोत्साहक है, लेकिन यह देखना बाकी है कि जांच में निकलकर क्या आता है?
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