इस्लामाबाद:
पाकिस्तान ने देश में जारी हिंसा को समाप्त करने के प्रयासों के तहत प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान तथा अन्य इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ शांति वार्ता करने के लिए इस माह एक ‘‘कार्य समूह’’ का गठन करने की योजना बनाई है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आज प्रकाशित रिपोर्ट में बताया है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर आम सहमति बनाने के लिए इस महीने के अंत में बुलायी गई सर्वदलीय बैठक में कार्य समूह की घोषणा किए जाने की संभावना है।
इस प्रस्तावित समूह में राजनेता तथा अन्य हस्तियां शामिल होंगी, जो शांति वार्ता को सफल बनाने के लिए अपने प्रभाव तथा पद का इस्तेमाल कर सकें। इस योजना के तहत सरकार पूर्व आतंकवादियों तथा हिरासत में मौजूद आतंकवादियों का इस्तेमाल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) तक पहुंचने में कर सकती है। यह आतंकवादी संगठन अफगान सीमा के आसपास सक्रिय विभिन्न आतंकवादी गुटों का समूह है।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह शांति के लिए टीटीपी तथा अन्य ‘‘सुलह समझौते लायक समूहों’’ के साथ बातचीत की इच्छुक है।
हालांकि सुरक्षा प्रतिष्ठान इस अवधारणा को लेकर संशय में हैं, क्योंकि इस प्रकार की तिकड़मों से पूर्व में सकारात्मक परिणाम नहीं मिले हैं ।
पिछले सप्ताह आईएसआई के मुख्यालय के अपने दौरे के दौरान शरीफ को जमीनी सचाई के बारे में बताया गया था और उन ‘‘कड़े फैसलों’’ की जानकारी दी गई थी, जो उनकी सरकार को शांति वार्ता के लिए करने होंगे।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आज प्रकाशित रिपोर्ट में बताया है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर आम सहमति बनाने के लिए इस महीने के अंत में बुलायी गई सर्वदलीय बैठक में कार्य समूह की घोषणा किए जाने की संभावना है।
इस प्रस्तावित समूह में राजनेता तथा अन्य हस्तियां शामिल होंगी, जो शांति वार्ता को सफल बनाने के लिए अपने प्रभाव तथा पद का इस्तेमाल कर सकें। इस योजना के तहत सरकार पूर्व आतंकवादियों तथा हिरासत में मौजूद आतंकवादियों का इस्तेमाल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) तक पहुंचने में कर सकती है। यह आतंकवादी संगठन अफगान सीमा के आसपास सक्रिय विभिन्न आतंकवादी गुटों का समूह है।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह शांति के लिए टीटीपी तथा अन्य ‘‘सुलह समझौते लायक समूहों’’ के साथ बातचीत की इच्छुक है।
हालांकि सुरक्षा प्रतिष्ठान इस अवधारणा को लेकर संशय में हैं, क्योंकि इस प्रकार की तिकड़मों से पूर्व में सकारात्मक परिणाम नहीं मिले हैं ।
पिछले सप्ताह आईएसआई के मुख्यालय के अपने दौरे के दौरान शरीफ को जमीनी सचाई के बारे में बताया गया था और उन ‘‘कड़े फैसलों’’ की जानकारी दी गई थी, जो उनकी सरकार को शांति वार्ता के लिए करने होंगे।
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