पाकिस्तान : बच्चियों के शव से ना हो रेप, इसलिए कब्रों की बाड़ाबंदी कर रहे हैं अभिभावक - रिपोर्ट

हैरिस सुल्तान, एक पूर्व-मुस्लिम नास्तिक कार्यकर्ता और "द कर्स ऑफ गॉड, व्हाई आई लेफ्ट इस्लाम" पुस्तक के लेखक ने इस तरह के घृणित कृत्यों के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी विचारधारा को दोषी ठहराया. 

पाकिस्तान : बच्चियों के शव से ना हो रेप, इसलिए कब्रों की बाड़ाबंदी कर रहे हैं अभिभावक - रिपोर्ट

पाकिस्तान में कब्र से निकालकर बच्चियों के शव के साथ हो रहा है रेप - रिपोर्ट

नई दिल्ली:

पाकिस्तान से एक हैरान करने और इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. यहां जिंदा तो दूर मरने के बाद भी बच्चियां सुरक्षित नहीं है. देश के कई इलाकों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बच्चियों के शव को कब्र से निकाल कर उसके साथ रेप किया गया हो. इस तरह की घटनाओं के सामने आने के बाद अब अभिभावक अपनी बच्चियों के शव को बचाने के लिए उनके कब्रों की बाड़ाबंदी कर रहे हैं ताकि कोई उन बच्चियों के कब्र को खोद ना सके. डेली टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार देश में इस तरह के कई मामले में सामने आए हैं. 

पूरे समाज को शर्मसार करने वाली घटना

डेली टाइम्स में छपे संपादकीय के अनुसार पाकिस्तान में हर दो घंटे में एक महिला का रेप किया जाता है, ये उस समाज की सच्चाई है जो अपने परिवारिक मूल्यों पर बहुत गर्व करता है. लेकिन अब बच्चियों की कब्रों पर लगे ताले का दिल दहला देने वाला दृश्य पूरे समाज के लिए शर्म से अपना सिर झुकाने के लिए काफी है.

"कट्टरपंथी इस्लामवादी विचारधारा दोषी"

हैरिस सुल्तान, एक पूर्व-मुस्लिम नास्तिक कार्यकर्ता और "द कर्स ऑफ गॉड, व्हाई आई लेफ्ट इस्लाम" पुस्तक के लेखक ने इस तरह के घृणित कृत्यों के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी विचारधारा को दोषी ठहराया. सुल्तान ने बुधवार को ट्वीट किया कि पाकिस्तान ने इतना यौन कुंठित समाज बनाया है कि लोग अब अपनी बेटियों की कब्र पर ताले लगा रहे हैं ताकि उनका बलात्कार न हो. जब आप बुर्के को बलात्कार से जोड़ते हैं, तो यह आपके पीछे-पीछे कब्र तक जाता है. 

"नेक्रोफिलिया है इसकी वजह"

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डेली टाइम्स के अनुसार, यह शवों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए है जिसके साथ कुछ मानसिक रोगी अपनी हवस मिटाने के लिए इस तरह से कर रहे हैं. नेक्रोफिलिया में बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए, कोई मदद नहीं कर सकता है लेकिन अपने प्रियजनों के शव को बचाने के की जा रही मांग को समझा जा सकता है.