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सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक कोर्ट ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को भी आदेश दिया है कि वह जल्दी ही नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए प्रक्रिया आरंभ करें।
पीपीपी ने मध्यावधि चुनाव की सम्भावनाओं से इनकार करते हुए बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक बुलाई है।
गिलानी ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश के बावजूद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस प्रशासन को पत्र लिखने से इनकार कर दिया था।
डॉन न्यूज द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अगले प्रधानमंत्री के विषय में निर्णय लेने के लिए सहयोगी दलों की बैठक प्रेसीडेंट हाउस में बुलाई। बैठक में जरदारी द्वारा प्रस्तावित कुछ नामों पर विचार किया गया। उम्मीद की जा रही है कि अगले 24 घंटों में गिलानी के उत्तराधिकारी के विषय में निर्णय हो जाएगा।
पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में जरदारी एवं गिलानी उपस्थित थे।
पीपीपी के महासचिव जहांगीर बद्र ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री के नाम पर विचार करने के लिए बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक होगी। संघीय मंत्रिमंडल के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अयोग्य ठहराए जाने के बाद से यह भी भंग हो गई है।
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी, न्यायमूर्ति जव्वाद एस. ख्वाजा और न्यायमूर्ति खिलजी आरिफ हुसैन की तीन सदस्यीय पीठ ने गिलानी के प्रधानमंत्री के तौर पर अयोग्यता के मुद्दे परनेशनल एसेम्बली की स्पीकर फहमिदा मिर्जा के फैसले के खिलाफ संवैधानिक याचिकाओं पर सुनवाई की।
याचिकाएं पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और वकील अजहर चौधरी की ओर से गिलानी की योग्यता के मुद्दे पर दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में स्पीकर के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा गया था कि न्यायालय की अवमानना का दोषी होने पर भी गिलानी प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य नहीं हैं।
सात सदस्यीय पीठ ने 26 अप्रैल को गिलानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था।
न्यायालय ने हालांकि उन्हें अदालत उठने तक या न्यायाधीशों के अदालत कक्ष छोड़ने तक की सजा सुनाई थी। इस तरह यह सजा मात्र 30 सेकंड की रही।
मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार अहमद चौधरी ने आदेश में कहा, "यूसुफ रजा गिलानी संसद का सदस्य होने के लिए अयोग्य हो चुके हैं। वह उसी दिन (26 अप्रैल) से प्रधानमंत्री भी नहीं है।"
सरकार ने 14 जून को नेशनल एसेम्बली में एक प्रस्ताव पेश किया था और उसे मंजूरी मिल गई थी।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए नेशनल असेम्बली भंग कर फिर से चुनाव कराने की मांग की।
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