- बांग्लादेश चुनावों से पहले पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाने के लिए ISI के जरिए जमात का समर्थन कर रहा है.
- पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी हाल ही बांग्लादेश गए और सीमा क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के निर्देश दिए.
- जमात चुनावी नतीजों को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहा है क्योंकि बीएनपी को सर्वेक्षणों में बढ़त मिली है.
बांग्लादेश में 2026 में होने वाले बहुप्रतीक्षित चुनावों से पहले इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि यह चुनाव शांतिपूर्ण नहीं होंगे. पाकिस्तान लगातार बांग्लादेश में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए राजनीतिक व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाने की कोशिश में जुटा है. बांग्लादेश में अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगने के बाद से ही सभी की निगाहें सबसे बड़े विपक्षी दल बीएनपी और देश की मौजूदा व्यवस्था को नियंत्रित करने वाली आईएसआई के हाथ की कठपुतली जमात-ए-इस्लामी पर टिकी होंगी. हालांकि मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन वह आईएसआई की उस रणनीति पर चलते हैं जिसे जमात अंजाम देती है.
भारतीय एजेंसियों को पाकिस्तान के आठ उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों के बांग्लादेश दौरे की जानकारी मिली है. इनमें से कुछ सेना के सेवारत अधिकारी हैं, जबकि अन्य सेवानिवृत्त हैं. इन अधिकारियों में ब्रिगेडियर शोएब आसिफ खान, राजा इरफान यासीन, मुहम्मद अशरफ शाहिद, सैयद साकिब, मुर्तजा, मुहम्मद मेराज, अफजल अहमद खान, लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) उल्लाह और वकार उर रहमान शामिल हैं.
पिछले हफ्ते ढाका पहुंचे पाकिस्तानी अधिकारी
खुफिया अधिकारियों का कहना है कि ये अधिकारी पिछले हफ्ते ढाका पहुंचे थे. बांग्लादेश पहुंचकर उन्होंने हेलीकॉप्टर किराए पर लिए और भारत-बांग्लादेश सीमा पर पहुंचे. उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय आतंकवादियों से बातचीत की और उन्हें चुनाव नजदीक आते ही बांग्लादेश और सीमावर्ती इलाकों में हिंसा फैलाने का निर्देश दिया है.
इससे पहले, पाकिस्तानी संसद के एक पूर्व सदस्य और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के एक सलाहकार के दो दौरे भी खुफिया एजेंसियों की नजर में आ चुके हैं. पूर्व सांसद शाह महमूद और शाहबाज हुमैरा ने बांग्लादेश का दौरा किया और राजनीतिक वर्ग से बातचीत की. इसके बाद दोनों 16 नवंबर को बांग्लादेश से चले गए.
यह घटनाक्रम जमात-ए-इस्लामी के अमीर डॉ. शफीकुर्रहमान की उस चेतावनी के बाद सामने आए हैं, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर चुनाव और राष्ट्रीय जनमत संग्रह एक ही दिन हुए तो चुनावी नरसंहार हो सकता है. उनका मानना है कि चुनाव समान अवसर प्रदान नहीं करते हैं और एक ही दिन दो बड़े आयोजन व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं.
इसलिए असुरक्षित महसूस कर रही है जमात
जानकारों का कहना है कि जमात निस्संदेह असुरक्षित है. वर्तमान में यूनुस के नेतृत्व में जमात आईएसआई के इशारे पर फैसले लेती है. सभी सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अवामी लीग की अनुपस्थिति में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को स्पष्ट बढ़त हासिल है.
जमात फिलहाल दूसरे नंबर पर है और इसलिए चुनाव नतीजों को लेकर असुरक्षित है. बीएनपी और जमात अलग हो गए हैं और अगर बीएनपी चुनाव जीत जाती है तो जमात देश में अपनी हुकूमत नहीं चला पाएगी.
पाकिस्तान को क्यों पसंद नहीं है बीएनपी?
बीएनपी स्पष्ट रूप से सामान्य स्थिति बहाल करना चाहती है और अपने पिछले कार्यकालों की तरह उसके कट्टरपंथी रास्ता अपनाने की संभावना नहीं है. वह अपने पिछले कार्यकालों में बनी अपनी छवि को भी बदलना चाहती है और यह बात आईएसआई और जमात दोनों को पसंद नहीं है.
एक और परेशानी यह है कि बीएनपी भारत के साथ काम करने और रिश्ते सुधारने को तैयार है. भारत के अधिकारी पिछले एक साल से बीएनपी के पदाधिकारियों के संपर्क में हैं और दोनों ही दोनों देशों के हित में मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की जरूरत महसूस करते हैं.
जमात को सत्ता में रखना चाहती है ISI
यही कारण है कि हिंसा में शामिल होकर चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारना ही एकमात्र विकल्प बचा है. आईएसआई साफ तौर पर चाहती है कि जमात नियंत्रण में रहे, जिससे वह एक प्रतिनिधि की तरह काम कर सके. यदि जमात सत्ता में बनी रहती है तो आईएसआई को बिना किसी दबाव के अपने ट्रेनिंग कैंप और मॉड्यूल चला सकती है. अधिकारियों का कहना है कि यह दरअसल आईएसआई की उस बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसकी कोशिश पूर्वोत्तर सीमा पर तनाव बनाए रखने की है, जिसका असर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़े.
यूनुस के शासनकाल में पाकिस्तान को ढेरों रियायतें मिली हैं. समुद्री रास्ते खोलना, वीजा नियमों में ढील और भारत को नुकसान पहुंचाने के इरादे से संबंधों को बहाल करना. अब, जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है, पाकिस्तान काफी तनाव में है, क्योंकि उसे लग रहा है कि उसका छद्म संगठन जमात व्यवस्था पर से नियंत्रण खो सकता है. यही कारण है कि एक खुफिया ब्यूरो अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने चुनावों में बाधा डालने और बांग्लादेश को जमात के नियंत्रण में बनाए रखने के लिए एक बड़ी योजना बनाई है.
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