पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को ‘‘न्यापालिका के खिलाफ'' कथित टिप्पणी करने के कारण उन्हें आयोग्य करार देने संबंधी एक याचिका पाकिस्तानी अदालत में दायर की गई है. अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इलाज कराने के लिए लंदन रवाना होने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह टिप्पणी की थी. पाकिस्तान के एक नागरिक ताहिर मसूद ने शनिवार को लाहौर उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की.
याचिका में खान के खिलाफ न्यायपालिका की निंदा करने के लिए अवमानना का मामला चलाने का आग्रह किया गया है. शिकायतकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने शीर्ष न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों की आलोचना की है जो अदालत के अवमानना के दायरे में आता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने 2013 में पहले ही न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणियों के लिए खान को नोटिस जारी किया है.
पीएमएल एन के नेताओं तलाल चौधरी एवं निहाल हाशमी के न्यापालिका विरोधी भाषणों पर शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें सजा दिए जाने का हवाला देते हुए शिकायतकर्ता ने कहा कि खान को अदालत व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का समन जारी करे, उन्हें अयोग्य करार दे और निर्वाचन आयोग को नेशनल असेंबली की उनकी सदस्यता रद्द करने का निर्देश दे.
गौरतलब है कि खान ने हाल ही में 69 वर्षीय शरीफ को इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति देने के लिए 700 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति बांड जमा करने के अपनी सरकार की शर्त को खारिज करने के लिए लाहौर उच्च न्यायालय की आलोचना की और मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा और उनके उत्तराधिकारी को " न्यायपालिका में जनता के भरोसे को बहाल करने" के लिए कहा था.
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