पाकिस्तान सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार सिरिल अलमीड़ा के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार सिरिल अलमीड़ा के देश छोड़ने पर पांबदी के बीच पाकिस्तान सरकार की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है. एनडीटीवी से बात करते हुए पाकिस्तान के मंत्री मोहम्मद ज़ुबैर का कहना है कि नेशनल सिक्युरिटी कमिटि की मींटिग को लेकर अलमीड़ा ने जिस तरह से रिपोर्ट की उससे ये संदेश गया है कि विदेश नीति पर यहां की चुनी हुई सरकार या प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के हाथ बंधे हैं. ज़ुबैर का दावा है कि विदेश नीति पर नवाज़ शरीफ की पूरी पकड़ है और इस रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि सिविल सरकार और सेना के बीच मतभेद है.
ज़ुबैर ने अलमीड़ा की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए ये भी कहा कि नेशनल सिक्युरिटी से जुड़ी इस तरह की मीटिंग का मसौदा बाहर नहीं आना चाहिए. और जब ये आया है तो यह जानना ज़रूरी है कि इसके पीछे कौन है. वे ये भी कहते हैं कि अगर मीटिंग में 20-25 लोग हों तो उनकी अलग अलग राय होना लाज़िमी है, लेकिन पत्रकार के तौर पर अलमीड़ा और मीडिया संस्थान के तौर पर डॉन बहुत प्रतिष्ठित होते हुए भी इसे सही ढंग से पेश नहीं कर पाए.
ज़ुबैर के मुताबिक़, हर मीटिंग में असहमतियां होती हैं और ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन पाकिस्तान के मामले में हर असहमति को सिविल और मिलिटरी के बीच मतभेद की तरह पेश किया जाता है. ये ग़लत है. उन्होंने एनडीटीवी से फोन पर कहा कि जो अंदर हुआ उसकी सही रिपोर्टिंग नहीं हुई, इसलिए प्रधानमंत्री दफ्तर से पहले ही इसका खंडन किया जा चुका है. ज़ुबैर के मुताबिक़ इस रिपोर्ट के बाद ग़लतफहमी पैदा हुई जिसे दूर करने के लिए इसकी जांच की ज़रूरत है.
ज़ुबैर का इशारा सेना और सरकार के बीच इस रिपोर्ट के बाद पैदा हुए मतभेद को लेकर है. तभी प्रधानमंत्री के घर हुई बैठक में सेना प्रमुख राहिल शरीफ़ ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए इस पर चिंता जतायी. ज़ाहिर है सेना का दबाव सरकार पर काम कर रहा है और इसलिए अलमीड़ा के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है.
ज़ुबैर ने अलमीड़ा की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए ये भी कहा कि नेशनल सिक्युरिटी से जुड़ी इस तरह की मीटिंग का मसौदा बाहर नहीं आना चाहिए. और जब ये आया है तो यह जानना ज़रूरी है कि इसके पीछे कौन है. वे ये भी कहते हैं कि अगर मीटिंग में 20-25 लोग हों तो उनकी अलग अलग राय होना लाज़िमी है, लेकिन पत्रकार के तौर पर अलमीड़ा और मीडिया संस्थान के तौर पर डॉन बहुत प्रतिष्ठित होते हुए भी इसे सही ढंग से पेश नहीं कर पाए.
ज़ुबैर के मुताबिक़, हर मीटिंग में असहमतियां होती हैं और ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन पाकिस्तान के मामले में हर असहमति को सिविल और मिलिटरी के बीच मतभेद की तरह पेश किया जाता है. ये ग़लत है. उन्होंने एनडीटीवी से फोन पर कहा कि जो अंदर हुआ उसकी सही रिपोर्टिंग नहीं हुई, इसलिए प्रधानमंत्री दफ्तर से पहले ही इसका खंडन किया जा चुका है. ज़ुबैर के मुताबिक़ इस रिपोर्ट के बाद ग़लतफहमी पैदा हुई जिसे दूर करने के लिए इसकी जांच की ज़रूरत है.
ज़ुबैर का इशारा सेना और सरकार के बीच इस रिपोर्ट के बाद पैदा हुए मतभेद को लेकर है. तभी प्रधानमंत्री के घर हुई बैठक में सेना प्रमुख राहिल शरीफ़ ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए इस पर चिंता जतायी. ज़ाहिर है सेना का दबाव सरकार पर काम कर रहा है और इसलिए अलमीड़ा के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सिरिल अलमीड़ा, डॉन, नवाज शरीफ, मोहम्मद ज़ुबैर, पाकिस्तान सेना, पत्रकार पर कार्रवाई, Cyril Almeida, Dawn Newspaper, Nawaz Sharif, Pakistan Army