- जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हमास आतंकियों को सम्मान देते हुए एक रैली आयोजित की
- दिल्ली के लाल किले के पास हुए आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद का कनेक्शन और फिदायीन दस्ते की तैयारी सामने आई है
- पहलगाम आतंकी हमले से पहले हमास और लश्कर की पीओके में हुई पहली संयुक्त बैठक की बात भी सामने आई थी
पाकिस्तान यानी वो मुल्क जो आतंकवाद की फसल बो रहा है और उसी को काट रहा है. पाकिस्तान को हिंसा की ही बात करनी आती है और खुद वो अपनी इसी आदत की मार भी झेल रहा है. पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर आंतकी संगठनों को खुली छूट दे रखी है और एक प्वाइंट पर तो यहां तक लगता है कि इन आतंकियों पर पाकिस्तान की शहबाज सरकार या पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर का कोई कंट्रोल ही नहीं है. इसका एक और सबूत सामने आया है. पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के दादयाल में एक रैली आयोजित की जिसमें हमास आतंकियों को सम्मान दिया गया.
29 नवंबर को हुई रैली के मंच पर जैश-ए-मोहम्मद का टॉप कमांडर इलियास कश्मीरी मौजूद था. मंच से दिए गए भाषणों में आतंकी सरगनाओं ने हमास से प्रेरणा लेने और अपनी आतंकी गतिविधियों को जारी रखने की बात कही. मंच से गाना भी गया गया, जिसके बोल थे "मैं फिलस्तीन हूं ये मेरा जुर्म है."
दिल्ली ब्लास्ट का भी जैश कनेक्शन
बता दें कि दिल्ली में लाल किला के पास हुए आतंकी हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद का कनेक्शन सामने आया है. दिल्ली ब्लास्ट में जारी जांच के बीच रोज नए खुलासे हो रहे हैं. डिजिटल हवाला फंडिंग से खुलासा हुआ है कि जैश फिदायीन दस्ता तैयार करने में जुटा है. सुरक्षा एजेंसियों को इससे जुड़े सुराग मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक- जैश-ए-मोहम्मद भारत के खिलाफ फिदायीन दस्ता तैयार करने के लिए तेजी से फंड इकट्ठा कर रहा है. जैश पाकिस्तान के डिजिटल ऐप ‘Sadapay' जैसे ई-वॉलेट्स के जरिए डोनेशन ले रहा है. इसका मकसद डिजिटल हवाला को आसान बनाना और आतंकियों तक फंड तेजी से पहुंचाना है. एजेंसियां अब इस डिजिटल फंडिंग नेटवर्क और महिलाओं को जोड़ने की साजिश की गहराई से जांच कर रही है.
पहलगाम आतंकी हमले में भी दिखा था हमास पैटर्न!
पॉइंट ब्लेंक रेंज से गोली मारना, गुठनों के बल बिठाना, माथे, गर्दन में गोली मारना... 22 अप्रैल को जब भारत के पहलगाम में पाकिस्तान के पाले आतंकियों ने हमला किया था तो उसमें हमास का पैटर्न नजर आया था. सुरक्षा एजेंसी सूत्रों के मुताबिक हमले के पहले इसी पीओके में हमास और लश्कर की 5 फरवरी को बैठक हुई थी. ऐसा पहली बार हुआ था जब हमास और लश्कर के आतंकी एक साथ सम्मेलन में शामिल हुए थे. खुद लश्कर ने हमास के आतंकियों को सम्मेलन में आमंत्रित किया था. हमास के खालिद कदुमी और नाजी जहीर सम्मेलन में मौजूद थे.
खुद मसूद अजहर का भाई तलाह सेफ भी सम्मेलन में मौजूद था. इस सम्मेलन में तकरीबन 100 के आसपास आतंकी शामिल थे लेकिन ज्यादातर आतंकी विदेशी थे.
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