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This Article is From May 15, 2022

'गंभीर सूखे की चपेट में है पाकिस्तान', संयु्क्त राष्ट्र ने सूखा प्रभावित 23 देशों की लिस्ट में किया शामिल

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान दुनिया के उन 23 देशों में शामिल है, जो पिछले दो वर्षों में सूखे के कारण आपात स्थिति का सामना कर रहा है.

'गंभीर सूखे की चपेट में है पाकिस्तान', संयु्क्त राष्ट्र ने सूखा प्रभावित 23 देशों की लिस्ट में किया शामिल
पाकिस्तान पिछले दो वर्षों में सूखे के कारण आपात स्थिति का सामना कर रहा है
नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान दुनिया के उन 23 देशों में शामिल है, जो पिछले दो वर्षों में सूखे के कारण आपात स्थिति का सामना कर रहा है. 17 जून को संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस से पहले मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली शताब्दी में, सूखे से प्रभावित मनुष्यों की कुल संख्या एशिया में सबसे अधिक थी. संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के अलावा 22 अन्य देशों में अफगानिस्तान, अंगोला, ब्राजील, बुर्किना फासो, चिली, इथियोपिया, ईरान, इराक, कजाकिस्तान, केन्या, लेसोथो, माली, मॉरिटानिया, मेडागास्कर, मलावी, मोजाम्बिक, नाइजर, सोमालिया शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक, 40 लाख वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक क्षेत्रों में सूखे के हालात उत्पन्न हो जाएंगे. यह क्षेत्रफल भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रफल के बराबर होगा. रिपोर्ट में आगे चेतावनी दी गयी है कि धरती की 40 प्रतिशत तक भूमि खराब हो गई है, जो आधी मानव जाति को प्रभावित करेगी. इसने आगे चेतावनी दी कि ग्रह की 40 प्रतिशत तक भूमि खराब हो गई है, जो आधी मानवता को प्रभावित करती है. जो वैश्विक GDP का लगभग आधा हिस्सा यानि 44 ट्रिलियन डॉलर के बराबर है.

2030 तक 1 बिलियन हेक्टेयर को पुनर्स्थापित करने के लिए राष्ट्रों की वर्तमान प्रतिज्ञा के लिए इस दशक में 1.6 ट्रिलियन अमरीकी डालर की आवश्यकता होगी - जीवाश्म ईंधन और कृषि सब्सिडी में आज के वार्षिक 700 बिलियन अमरीकी डालर का एक अंश.

संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2030 तक खराब हो चुके एक अरब हेक्टेयर भूमि को फिर से सुधारने के लिए दुनिया को 1.6 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि आधुनिक इतिहास में इससे पहले कभी भी इस तरह की चुनौती का सामना नहीं किया गया था.

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