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This Article is From Sep 03, 2015

‘पाकिस्तान ने 2000 में अमेरिका से कहा था, वह सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर जोर नहीं देगा’

‘पाकिस्तान ने 2000 में अमेरिका से कहा था, वह सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर जोर नहीं देगा’
व्हाइट हाउस (फाइल तस्वीर)
वाशिंगटन: पाकिस्तान ने मई, 2000 में अमेरिका से कहा था कि वह कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र परिषद प्रस्ताव के लिए जोर नहीं देगा तथा साथ ही उसने यह भी स्वीकार किया था कि इससे भारत के साथ लंबित इस दशकों पुराने मुद्दे के समाधान में मदद नहीं मिलेगी। अमेरिका की एक केबल में यह बात की गई है।

इस्लामाबाद स्थित अमेरिका दूतावास की ओर से यह केबल 27 मई, 2000 को अमेरिका के राजनीतिक मामलों के सहायक विदेश मंत्री थॉमस पिकरिंग की तत्कालीन पाकिस्तानी विदेश मंत्री अब्दुल सत्तार के साथ मुलाकात के बाद जारी की गई थी।

इस केबल में कहा गया है, ‘‘उन्होंने (सत्तार) कहा है कि पाकिस्तान 1940 के दशक के संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को नहीं उठाएगा क्योंकि इन पर जोर देना मददगार नहीं रहेगा।’’ कई पृष्ठों वाले इस केबल में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की ओर से कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए किए गए प्रयासों का भी हवाला दिया गया है। यह केबल सूचना की आजादी अधिनियम के तहत अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

इस केबल के मुताबिक पिकरिंग उस समय सत्तार को दो घंटे की बैठक में यह बताते दिख रह रहे हैं कि कश्मीर में हिंसा खत्म करने के लिए जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है तथा इस पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने सहमति जताई।

केबल में कहा गया है कि सत्तार ने पूरी प्रक्रिया में कश्मीरियों को शामिल करने के विचार को लेकर सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया दी।

अमेरिकी केबल में कहा गया है, ‘‘वह (सत्तार) लद्दाख और जम्मू में बौद्ध लोगों और हिंदुओं को (बातचीत की प्रक्रिया में) शामिल करने को लेकर उलझन में थे। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से भारतीयों के साथ बातचीत करने के लिए हुर्रियत (एपीसीएच) नेताओं के साथ जाने को लेकर निजी तौर पर सरकार को मनाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सत्तार ने कहा कि कश्मीरियों के साथ विचार-विमर्श करने से समाधान में पाकिस्तान के हित खत्म नहीं हो जाते तथा उन्होंने इस विचार को लेकर दिलचस्पी के साथ प्रतिक्रिया दी कि समाधान इस तरह से होना चाहिए कि पाकिस्तान और भारत को व्यापार और आर्थिक संबंधों के जरिए निकट लाया जा सके।’’

केबल के अनुसार सत्तार ने कहा कि कश्मीरी नेताओं ने 1991 में खुद कहा था कि पहला जोर उनकी भागीदारी को लेकर होगा। पिकरिंग ने सत्तार से कहा कि सीमा पार गोलीबारी और कश्मीर के भीतर हिंसा रोकने की जरूरत है।

अमेरिका में पाकिस्तान की तत्कालीन राजदूत मलीहा लोधी के साथ जनवरी, 2000 में मुलाकात के दौरान पिकरिंग ने कहा था कि सरकार से इतर तत्वों का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की नीति से अमेरिकी हितों को खतरा पैदा हो रहा है।

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