पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए 8 फरवरी को हुई वोटिंग के बाद आए नतीजों ने सबको हैरान कर दिया है. दरअसल, जेल में बंद इमरान खान की पाकिस्तान तरहीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने संसंद में सबसे अधिक सीटें हासिल की है लेकिन फिर भी उसे बहुमत नहीं मिल पाई है. इस वजह से चुनाव के छह दिन बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि पाकिस्तान की नई सरकार कैसी होगी.
ऐसे में पाकिस्तान के दो प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ियों, नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो ने साथ आने का फैसला किया है. नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और बिलावल भुट्टो-जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने सामूहिक रूप से गठबंधन की घोषणा की है. हालांकि, दोनों पार्टियों के साथ आने से लीडरशिप को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे कि कौन अहम भूमिकाओं में होगा या फिर दोनों की साझेदारी कैसी रहेगी.
प्रमुख खिलाड़ी और पद
मंगलवार को गठबंधन की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में प्रमुख नेता शामिल हुए थे. इसमें पीएमएल-एन से शहबाज शरीफ, पीपीपी से आसिफ अली जरदारी और अन्य छोटे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे. पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार भी हैं और उन्होंने देश की भलाई के लिए इमरान खान की पीटीआई को सरकार में शामिल करने की इच्छा भी जताई थी.
पीपीपी पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटाने का पीएमएल-एन का फैसला एक रणनीतिक कदम का संकेत देता है. Dawn के मुताबिक, बिलावल भुट्टो-जरदारी ने सरकार का नेतृत्व करने के लिए अपनी पार्टी के अपर्याप्त जनादेश को मान लिया है. बिलावल भुट्टो ने स्पष्ट किया कि पीपीपी ने पीटीआई के साथ गठबंधन को अस्वीकार कर दिया है और पीएमएल-एन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
इसी बीच पीएमएल-एन लीडर मरियम औरंगजेब ने घोषणा की है कि नवाज शरीफ ने अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री के उमीदवार के लिए नामांकित किया है. उन्होंने अपनी स्टेटमेंट में कहा कि नवाज शरीफ ने सरकार बनाने के लिए उनका समर्थन करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों का शुक्रियाअदा किया है और साथ ही उम्मीद जताई है कि इससे पाकिस्तान संकट से बाहर आ पाएगा.
हालांकि, वर्तमान में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद इमरान खान ने संभावित राजनीतिक तनाव के लिए मंच तैयार करते हुए सहयोग से इनकार कर दिया है. ऐसे में गठबंधन में प्रमुख पदों का वितरण अस्पष्ट है और इस वजह से अभी भी बातचीत और अटकलों की गुंजाइश बनी हुई है.
क्या 169 की न्यूनमत संख्या तक पहुंच पाएगा गठबंधन
गठबंधन के सामने एक चुनौती यह है कि वो अभी तक 169 की न्यूनतम संख्या तक भी नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में पाकिस्तान नेशनल असेंबली की 336 सीटों में से दो-तिहाई सीटों यानि कि 224 सीटों की बहुमत तक पहुंच पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है.
वहीं, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पुष्टि की है कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले गठबंधन, जिसमें पीएमएल-एन, पीपीपी, एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू, आईपीपी और बीएपी शामिल हैं, ने हाल के चुनावों में कुल 152 सामान्य सीटें हासिल की हैं. Dawn के अनुसार, 60 महिलाओं और 10 अल्पसंख्यक सीटों के साथ, गठबंधन सरकार बनाने के लिए आवश्यक 169 सीटों की न्यूनतम आवश्यकता को भी पार कर लिया गया है.
हालांकि, इसके बावजूद भी 336 सीटों में से 224 सीटों पर गठबंधन के लिए बहुमत हासिल करना एक बड़ी चुनौती है. आरक्षित सीटों का भाग्य अब 101 निर्दलीय उम्मीदवारों के फैसले पर निर्भर करता है. इनमें से 92 पीटीआई समर्थिति निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जिन्होंने चुनाव में जीत हासिल की है.
चुनौतियां और सवाल
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सवालों के जवाब नहीं दिए गए, जिससे गठबंधन की स्थिरता और एक कार्यात्मक सरकार बनाने की क्षमता के बारे में अनिश्चितता पैदा हो गई है. इस दौरान यह भी नहीं बताया गया कि प्रमुख भूमिकाओं में कौन से नेता होंगे. ऐसे में गठबंधन में निर्धारित किए जाने वाली प्रमुख भूमिकाओं पर अभी भी बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है. ऐसे में अगली सरकार बनाने में इस गठबंधन की सफलता, प्रभावी बातचीत, आंतरिक सामंजस्य और चुनावी अनियमितताओं के आरोपों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने पर निर्भर करती है.
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