वाशिंगटन:
अमेरिका पाकिस्तान के साथ उसके सकारात्मक सम्बंध बनाए रखना चाहता है लेकिन उनके हित अक्सर अलग हो जाते हैं क्योंकि पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। यह राय अमेरिका के खुफिया प्रमुख ने जाहिर की है।
सीनेट की खुफिया मामलों से सम्बद्ध स्थायी समिति के समक्ष अपने बयान में राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक जेम्स क्लैपर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिकी रिश्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देशों के हित हमेशा समान नहीं रहते।
क्लैपर ने कहा कि अफगानिस्तान एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। उन्होंने कहा, "पिछले वर्ष के दौरान तालिबान को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन.. तालिबान के वरिष्ठ नेताओं को पाकिस्तान में लगातार सुरक्षित पनाह मिल रही है।" उन्होंने कहा कि सफलता के लिए अफगानिस्तान को गठबंधन सेना और उसके पड़ोसियों, खासतौर से पाकिस्तान की मदद मिलती रहनी चाहिए। समिति के उपाध्यक्ष सैक्सबी चैम्बलिस द्वारा यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के पनाहगाहों के बारे में क्या किया जा रहा है, क्लैपर ने कहा कि वे इस बारे में पाकिस्तान के साथ बातचीत की जा रही है।
क्लैपर ने कहा, "अलकायदा पाकिस्तान के साथ अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए तथा दूसरे देशों में हमले करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादी गुटों के साथ विचारधारा के स्तर पर और सामरिक गठबंधन के लिए, व्यापक तौर पर निर्भर रहेगा।" क्लैपर ने कहा, "पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी अलकायदा सदस्यों, अन्य विदेशी लड़ाकों तथा इस्लामाबाद के लिए खतरा पैदा कर रहे पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सीमित सफलता ही हासिल कर पाए हैं।" क्लैपर ने आगे कहा, "हम महसूस करते हैं कि अलकायदा सदस्य अमेरिकी लक्ष्यों के खिलाफ वैश्विक जिहाद पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के मकसद के साथ पाकिस्तान में हमलों के लिए समर्थन में सामंजस्य बिठा रहे हैं।" क्लैपर ने कहा कि भारत ने 2011 में अफगानिस्तान के साथ अपना जुड़ाव पर्याप्तरूप में बढ़ाया है, लेकिन निकट भविष्य में वह अफगानिस्तान में सैनिक या भारी उपकरणों को नहीं भेजने वाला है, क्योंकि वह पाकिस्तान को उकसाना नहीं चाहता। क्लैपर ने कहा कि भारत का व्यापक जुड़ाव अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ) की मौजूदगी और उसके चले जाने के बाद भी अफगानिस्तान की सम्प्रभुता और स्वतंत्रता बनाए रखने में वहां की सरकार को मदद करने पर लक्षित है।
सीनेट की खुफिया मामलों से सम्बद्ध स्थायी समिति के समक्ष अपने बयान में राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक जेम्स क्लैपर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिकी रिश्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देशों के हित हमेशा समान नहीं रहते।
क्लैपर ने कहा कि अफगानिस्तान एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। उन्होंने कहा, "पिछले वर्ष के दौरान तालिबान को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन.. तालिबान के वरिष्ठ नेताओं को पाकिस्तान में लगातार सुरक्षित पनाह मिल रही है।" उन्होंने कहा कि सफलता के लिए अफगानिस्तान को गठबंधन सेना और उसके पड़ोसियों, खासतौर से पाकिस्तान की मदद मिलती रहनी चाहिए। समिति के उपाध्यक्ष सैक्सबी चैम्बलिस द्वारा यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के पनाहगाहों के बारे में क्या किया जा रहा है, क्लैपर ने कहा कि वे इस बारे में पाकिस्तान के साथ बातचीत की जा रही है।
क्लैपर ने कहा, "अलकायदा पाकिस्तान के साथ अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए तथा दूसरे देशों में हमले करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादी गुटों के साथ विचारधारा के स्तर पर और सामरिक गठबंधन के लिए, व्यापक तौर पर निर्भर रहेगा।" क्लैपर ने कहा, "पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी अलकायदा सदस्यों, अन्य विदेशी लड़ाकों तथा इस्लामाबाद के लिए खतरा पैदा कर रहे पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सीमित सफलता ही हासिल कर पाए हैं।" क्लैपर ने आगे कहा, "हम महसूस करते हैं कि अलकायदा सदस्य अमेरिकी लक्ष्यों के खिलाफ वैश्विक जिहाद पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के मकसद के साथ पाकिस्तान में हमलों के लिए समर्थन में सामंजस्य बिठा रहे हैं।" क्लैपर ने कहा कि भारत ने 2011 में अफगानिस्तान के साथ अपना जुड़ाव पर्याप्तरूप में बढ़ाया है, लेकिन निकट भविष्य में वह अफगानिस्तान में सैनिक या भारी उपकरणों को नहीं भेजने वाला है, क्योंकि वह पाकिस्तान को उकसाना नहीं चाहता। क्लैपर ने कहा कि भारत का व्यापक जुड़ाव अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ) की मौजूदगी और उसके चले जाने के बाद भी अफगानिस्तान की सम्प्रभुता और स्वतंत्रता बनाए रखने में वहां की सरकार को मदद करने पर लक्षित है।
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