कोट्स ने कहा, ‘यह समूह क्षेत्र में अमेरिका के हित पर निरंतर खतरा बनाए रखेंगे और वहीं भारत और अफगानिस्तान पर हमले की योजना बनाना एवं हमले करना जारी रखेंगे.’ दक्षिण एशिया में, खुफिया समुदाय ने आकलन किया है कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगियों की सैन्य सहायता की मामूली वृद्धि के बावजूद भी वर्ष 2018 तक राजनीतिक एवं सुरक्षा स्थिति निश्चित रूप से खराब होगी.
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान आतंकवाद पर काबू पाने एवं तालिबान के साथ किसी प्रकार का शांति समझौता करने तक बाह्य समर्थन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए लड़ता रहेगा.’ कोट्स ने कहा, ‘हमने आकलन किया है कि इसबीच तालिबान संभवत: अपनी पकड़ बनाना जारी रखेगा (विशेषकर ग्रामीण इलाकों में). अफगान सुरक्षा बलों का प्रदर्शन तालिबान के अभियानों, संघषरे में मारे गए लोगों, सेना की वापसी और कमजोर नेतृत्व के चलते और खराब हो सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग किए जाने और भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते गहरे संबंधों एवं विदेशों में उनकी बढ़ती पहुंच सहित उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित हैं.’ कोट्स ने कहा, ‘पाकिस्तान खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने से बचाने के लिए चीन की ओर रूख कर सकता है. इस संबंध के मजबूत बनने से बीजिंग को हिंद महासागर में अपना प्रभाव डालने में मदद मिलेगी .’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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