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This Article is From Feb 09, 2016

दशकों की देरी के बाद पाकिस्तान ने हिंदू विवाह विधेयक को मंजूरी दी

दशकों की देरी के बाद पाकिस्तान ने हिंदू विवाह विधेयक को मंजूरी दी
प्रतीकात्मक चित्र
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में दशकों की देरी और निष्क्रियता के बाद हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के पास अब जल्दी ही एक विवाह कानून होगा। देश के संसदीय पैनल ने हिंदू विवाह विधेयक को मंजूरी दे दी है। नेशनल असेंबली की कानून एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति ने सोमवार को हिंदू विवाह विधेयक, 2015 के अंतिम मसौदे को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इस पर विचार के लिए खास तौर पर पांच हिंदू सांसदों को पैनल ने आमंत्रित किया था।

शादी के लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 साल
'डॉन' समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पुरुषों और महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष तय करने के लिए दो संशोधन करने के साथ इसे स्वीकार कर लिया। यह कानून बन जाने पर पूरे देश के पैमाने पर लागू होगा। विधेयक अब नेशनल असेंबली में पेश किया जाएगा, जहां सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के समर्थन से इसके पारित होने की पूरी संभावना है।

हिंदू समुदाय के लिए परिवार कानून तैयार करने में लंबे समय से रणनीतिक रूप से की गई देरी पर खेद जताते हुए संसदीय समिति के अध्यक्ष चौधरी महमूद बशीर विर्क ने कहा, ऐसा करना (विलंब) हम मुसलमानों और खासकर नेताओं के लिए मुनासिब नहीं था। हमें कानून को बनाने की जरूरत थी न कि इसमें रुकावट डालने की। अगर 99 फीसदी आबादी एक फीसदी आबादी से डर जाती है, तो हमें अपने अंदर गहरे तक झांकने की जरूरत है कि हम खुद को क्या होने का दावा करते हैं और हम क्या हैं।

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