नई दिल्ली:
पाकिस्तान में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी के फैसले अब अल्ताफ हुसैन नहीं करेंगे. उन्होंने फैसले लेने के अधिकार पार्टी की कोऑर्डिनेशन कमेटी को दे दिए हैं. उनका एक बयान उन्हें काफी महंगा पड़ा है.
अल्ताफ हुसैन पाकिस्तान में मुहाजिरों की पार्टी एमक्यूएम यानी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के चीफ ही नहीं, मुहाजिरों के हक की आवाज और पार्टी के चेहरे भी रहे हैं. लेकिन उनका हालिया विवादित बयान उन्हें महंगा पड़ गया जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को दुनिया का कैंसर बताया था. हालांकि उसके बाद उन्होंने मांफी मांगी और कहा कि उनके कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई से वे तनाव में थे. इसी बयान की वजह से उन्होंने पार्टी की लीडरशिप से अपने हाथ पीछे खींच लिए.
अल्ताफ हुसैन पिछले 24 साल से लंदन में रह रहे हैं. वे फोन पर ही पार्टी चलाते हैं और भाषण देते हैं. उनका स्टेटमेंट पार्टी के प्रवक्ता वासे जलील ने ट्वीट किया है जिसमें लिखा है कि 'एमक्यूएम नेता फारूक़ सत्तार के बयान के मद्देनज़र मैं
राब्ता कमेटी को फैसले लेने का अधिकार सौंपता हूं. इस दौरान मैं अपनी बिगड़ती सेहत पर ध्यान दूंगा।'
यह बदलाव बड़ा बदलाव है क्योंकि अल्ताफ हुसैन का मतलब एमक्यूएम और एमक्यूएम का मलतब अल्ताफ हुसैन रहा है.
अल्ताफ के हालिया बयान के बाद एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर पाक विरोधी नारे लगाने और टीवी चैनलों पर तोड़फोड़ के आरोप लगे. फारुक सत्तार को भी गिरफ्तार किया गया. पार्टी में नंबर दो सत्तार ने मंगलवार को रिहा होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि पार्टी को लंदन से नहीं पाकिस्तान से संचालित किया जाए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पार्टी का नाम लेते वक्त हर बार पाकिस्तान शब्द जोड़ा.
पाकिस्तान में यह चर्चा भी है कि पार्टी को पाकिस्तान से चलाने की बात पर अल्ताफ हुसैन से सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया. एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर पहले ही सेना कार्रवाई कर रही है. ऐसे में अल्ताफ के बयानों ने उनकी मुश्किल और बढ़ा दी थी. वैसे भी पाकिस्तान के चुनाव आयोग में एमक्यूएम फारूक सत्तार के नाम से रजिस्टर्ड है और ऐसे में अल्ताफ अगर अड़ते तो पार्टी में दो फाड़ होने का भी खतरा था.
अल्ताफ हुसैन पाकिस्तान में मुहाजिरों की पार्टी एमक्यूएम यानी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के चीफ ही नहीं, मुहाजिरों के हक की आवाज और पार्टी के चेहरे भी रहे हैं. लेकिन उनका हालिया विवादित बयान उन्हें महंगा पड़ गया जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को दुनिया का कैंसर बताया था. हालांकि उसके बाद उन्होंने मांफी मांगी और कहा कि उनके कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई से वे तनाव में थे. इसी बयान की वजह से उन्होंने पार्टी की लीडरशिप से अपने हाथ पीछे खींच लिए.
अल्ताफ हुसैन पिछले 24 साल से लंदन में रह रहे हैं. वे फोन पर ही पार्टी चलाते हैं और भाषण देते हैं. उनका स्टेटमेंट पार्टी के प्रवक्ता वासे जलील ने ट्वीट किया है जिसमें लिखा है कि 'एमक्यूएम नेता फारूक़ सत्तार के बयान के मद्देनज़र मैं
राब्ता कमेटी को फैसले लेने का अधिकार सौंपता हूं. इस दौरान मैं अपनी बिगड़ती सेहत पर ध्यान दूंगा।'
यह बदलाव बड़ा बदलाव है क्योंकि अल्ताफ हुसैन का मतलब एमक्यूएम और एमक्यूएम का मलतब अल्ताफ हुसैन रहा है.
अल्ताफ के हालिया बयान के बाद एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर पाक विरोधी नारे लगाने और टीवी चैनलों पर तोड़फोड़ के आरोप लगे. फारुक सत्तार को भी गिरफ्तार किया गया. पार्टी में नंबर दो सत्तार ने मंगलवार को रिहा होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि पार्टी को लंदन से नहीं पाकिस्तान से संचालित किया जाए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पार्टी का नाम लेते वक्त हर बार पाकिस्तान शब्द जोड़ा.
पाकिस्तान में यह चर्चा भी है कि पार्टी को पाकिस्तान से चलाने की बात पर अल्ताफ हुसैन से सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया. एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर पहले ही सेना कार्रवाई कर रही है. ऐसे में अल्ताफ के बयानों ने उनकी मुश्किल और बढ़ा दी थी. वैसे भी पाकिस्तान के चुनाव आयोग में एमक्यूएम फारूक सत्तार के नाम से रजिस्टर्ड है और ऐसे में अल्ताफ अगर अड़ते तो पार्टी में दो फाड़ होने का भी खतरा था.
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