
- पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सुरक्षा चिंताओं के कारण और खराब हो गए हैं
- पाकिस्तान की सेना ने सीमा के पास दो अभियानों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के 31 आतंकवादियों को मार गिराया है
- पाक के प्रधानमंत्री ने अफगान तालिबान को आतंकवादी समूहों का समर्थन बंद करने और एक पक्ष चुनने की चेतावनी दी है
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध और भी खराब हो गए हैं. इस्लामाबाद ने बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को दूर करने, उनपर एक्शन में तालिबान प्रशासन की विफलता पर निराशा जताई है. पाकिस्तान की सेना ने कहा कि उसने अफगानिस्तान की सीमा के पास दो अलग-अलग अभियानों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 31 स्थानीय आतंकवादियों को मार गिराया है.
इससे पहले शनिवार को घात लगाकर किए गए हमले में पाकिस्तान के 12 सैनिकों की मौत हुई थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) ने ही ली थी.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार दो दिन पहले, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से अफगानिस्तान की तालिबान सरकरा से कहा था कि उसे पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच में से किसी एक को चुनना होगा. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान की धरती से जारी सीमा पार हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा. शहबाज की यह टिप्पणियां सुरक्षा स्थिति पर पाकिस्तान में बढ़ती बेचैनी को दर्शाती हैं. यह सबूत है कि दोनों पड़ोसियों के बीच नए सिरे से तनाव बढ़ रहा है.
तालिबान भी लगा रहा पाकिस्तान पर आरोप
पाकिस्तान की इस चेतावनी से पहले काबुल में बैठे तालिबान ने भी आरोप लगाए थे. तालिबान का कहना है कि उसके नंगरहार और खोस्त प्रांतों में पाकिस्तानी हवाई हमलों में आम नागरिक मारे गए हैं. इसे अफगान अधिकारियों ने "भड़काऊ कदम" बताया है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने इन आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया और कहा कि हमलों में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. पाकिस्तान ने अपने जवाब में क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले समूहों पर लगाम लगाने में अफगानिस्तान की असमर्थता पर जोर दिया था.
तालिबान के आने के बाद से रिश्ते तल्ख
2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी से जुड़ी हिंसा में तेजी आई है. जवाब में, इस्लामाबाद ने आतंकवादी ठिकानों पर अफगानिस्तान के अंदर सीमा पार हमले किए हैं, उसने अफगान से होने वाले व्यापार पर सख्त नियंत्रण लगाया है, और बिना डॉक्यूमेंट वाले अफगान नागरिकों की वापस भेजना तेज कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 12 लाख अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान ने पहले ही बाहर निकाल दिया है.
नीचले स्तर पर पहुंचा पाकिस्तान-तालिबान संबंध
पर्यवेक्षकों यानी ऑब्जर्वर्स ने मौजूदा स्थिति को पाकिस्तान-तालिबान द्विपक्षीय संबंधों में "नया निचला स्तर" बताया है. भले दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनयिक चैनल औपचारिक रूप से खुले हैं, लेकिन दोनों के बीच बढ़ता अविश्वास सहयोग की संभावनाओं पर भारी पड़ रहा है. विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए काबुल की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं तो तनाव बढ़ सकता है. इससे दोनों पक्षों के बीच पहले से ही नाजुक संबंधों में तनाव आ सकता है. खामा प्रेस ने डॉन न्यूज के हवाले से यह खबर दी.
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