
Pakistan Acute food insecurity: पाकिस्तान एक तरफ उधार लेकर हथियार खरीदता है वहीं वहां के 1.1 करोड़ लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में बताया है कि नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक पाकिस्तान में खाद्य असुरक्षा का उच्च स्तर बना हुआ है, जिसमें 1.1 करोड़ लोगों को असुरक्षा का सामना करने का अनुमान है. यह रिपोर्ट पाकिस्तान के अखबार डॉन ने छापी है.
शुक्रवार, 16 मई को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रकाशित खाद्य संकट पर 2025 की वैश्विक रिपोर्ट के हवाले से, डॉन ने बताया कि बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के 68 बाढ़ प्रभावित ग्रामीण जिलों में 11 मिलियन लोगों या विश्लेषण की गई आबादी के 22 प्रतिशत को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने का अनुमान है.
इसमें आपातकाल की स्थिति में जी रहे 17 लाख लोग शामिल हैं. डॉन ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2024 के शिखर (पीक) और 2025 के वर्तमान विश्लेषण के बीच जनसंख्या कवरेज में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 25 नए जिले सर्वे में जुड़ गए जिससे लोगों की संख्या 36.7 मिलियन लोगों से बढ़कर 50.8 मिलियन लोगों तक चली गई. इसलिए 2024 के शिखर और 2025 के प्रोजेक्शन की तुलना नहीं की जा सकती.
इसमें आगे कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में स्थिति में सुधार होने के बावजूद चरम मौसम की स्थिति पाकिस्तान के लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगी.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान में 2024 का शिखर 2023 जैसा ही रहा, नवंबर 2023 और जनवरी 2024 के बीच 11.8 मिलियन लोगों को उच्च स्तर की तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा.
रिपोर्ट का हवाला देते हुए, इसमें आगे कहा गया है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान और सिंध के विश्लेषित क्षेत्रों में 2018 और 2024 की शुरुआत के बीच तीव्र कुपोषण के लगातार उच्च स्तर का अनुभव किया. वैश्विक तीव्र कुपोषण (GAM) का प्रसार लगातार 10 प्रतिशत से ऊपर रहा और कुछ जिलों में 30 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गया.
FAO की रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों के मौसम के दौरान बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध के 43 ग्रामीण जिलों में 1.18 करोड़ लोगों या विश्लेषण की गई आबादी के 32 प्रतिशत को उच्च स्तर की तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने का अनुमान लगाया गया था. उनमें से 22 लाख नवंबर 2023 से जनवरी 2024 के दौरान एकीकृत खाद्य असुरक्षा चरण वर्गीकरण (आईपीसी) के तहत आपातकालीन स्थिति में थे.
यह भी बताया गया कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में तीव्र कुपोषण का बड़े स्तर प्रसार था, जिसके साथ विशेष रूप से सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में कम वजन वाले बच्चे भी पैदा हो रहे थे.
दस्त, तीव्र सांस से जुड़े संक्रमण और मलेरिया का स्तर उच्च था, जो सर्दियों के महीनों के दौरान बदतर हो गया. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छता सुविधाओं और सुरक्षित पेयजल की अपर्याप्त कवरेज एक महत्वपूर्ण चिंता थी, आंशिक रूप से 2022 में भारी मानसून बाढ़ के बाद.
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