नई दिल्ली:
पाकिस्तान की पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री शेरी रहमान ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान अब भारत को ‘प्रमुख शत्रु’ के रूप में नहीं देखता क्योंकि आंतरिक परिवर्तनों से पुरानी चिंताएं दूर हो रही हैं और लंबे समय से लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए ‘तौरतरीकों में मूलभूत बदलाव’ हुआ है।
शेरी ने कहा, ‘वर्तमान समय में पाकिस्तान में मनोदशा में परिवर्तन हुआ है जहां आंतरिक परिवर्तन नीतियों को आकार दिया जा रहा है, पुरानी चिंताएं दूर हो रही हैं और भारत अब प्रमुख शत्रु नहीं है।’
उन्होंने यद्यपि चेतावनी दी कि मीडिया जो वर्षों की ‘संचित शत्रुता’ को प्रतिबिंबित कर रहा है उससे दोनों देशों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रह चुकी शेरी ने कहा, ‘..ऐसा नहीं है कि समाज वह कहता है जो हम बातचीतों में सुनते हैं या मीडिया द्वारा प्रतिबिंबित या अपवर्तित किया जाता है, वर्षों की संचित शत्रुता और इससे हमारा भविष्य अन्य किसी चीज से कहीं अधिक खतरें में पड़ता है।’
शेरी ने जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए एक व्याख्यान में लंबे समय से लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ की जरूरत पर बल दिया, यद्यपि दोनों देशों के सैन्य प्रतिष्ठान एक-दूसरे को संदेह से देखते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम वार्ता की मेज पर बहुत सारी शर्तें लाद देते हैं, यह होना चाहिए, इसके बिना मान लेना अव्यावहारिक है, ऐसा बिंदु होना चाहिए जहां हम राजनीतिक इच्छाशक्ति के बारे में बात करें।’’
शेरी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान कम से कम गत पांच वर्षों से इस समीकरण को बदलने का प्रयास कर रहा है, यह समाज के स्तर तथा राज्य स्तर पर जारी है।’’ उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान दक्षिण एशिया का भविष्य को आकार देने में भारत और पाकिस्तान द्वारा ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ पर भी जोर दिया।
शेरी ने कहा, ‘वर्तमान समय में पाकिस्तान में मनोदशा में परिवर्तन हुआ है जहां आंतरिक परिवर्तन नीतियों को आकार दिया जा रहा है, पुरानी चिंताएं दूर हो रही हैं और भारत अब प्रमुख शत्रु नहीं है।’
उन्होंने यद्यपि चेतावनी दी कि मीडिया जो वर्षों की ‘संचित शत्रुता’ को प्रतिबिंबित कर रहा है उससे दोनों देशों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रह चुकी शेरी ने कहा, ‘..ऐसा नहीं है कि समाज वह कहता है जो हम बातचीतों में सुनते हैं या मीडिया द्वारा प्रतिबिंबित या अपवर्तित किया जाता है, वर्षों की संचित शत्रुता और इससे हमारा भविष्य अन्य किसी चीज से कहीं अधिक खतरें में पड़ता है।’
शेरी ने जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए एक व्याख्यान में लंबे समय से लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ की जरूरत पर बल दिया, यद्यपि दोनों देशों के सैन्य प्रतिष्ठान एक-दूसरे को संदेह से देखते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम वार्ता की मेज पर बहुत सारी शर्तें लाद देते हैं, यह होना चाहिए, इसके बिना मान लेना अव्यावहारिक है, ऐसा बिंदु होना चाहिए जहां हम राजनीतिक इच्छाशक्ति के बारे में बात करें।’’
शेरी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान कम से कम गत पांच वर्षों से इस समीकरण को बदलने का प्रयास कर रहा है, यह समाज के स्तर तथा राज्य स्तर पर जारी है।’’ उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान दक्षिण एशिया का भविष्य को आकार देने में भारत और पाकिस्तान द्वारा ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ पर भी जोर दिया।
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