इस्तेमाल हो चुके पानी में से केवल 20 फीसदी को ही फिर इस्तेमाल लायक बनाया जाता है
जोहांसबर्ग:
22 मार्च को विश्व जल दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में इस्तेमाल के बाद 80 फीसदी अपशिष्ट जल दोबारा उपयोग में नहीं लाया जाता और व्यर्थ बहा दिया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र की विश्व जल विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च आय वाले देशों में जहां अपशिष्ट जल शोधन का स्तर 70 फीसदी तक पहुंच सकता है, लेकिन उच्च-मध्यम आय तथा निम्न-मध्यम आय वाले देशों में यह घटकर क्रमश: 38 तथा 28 फीसदी रह जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार निम्न आय वाले देशों में, उद्योगों तथा घरेलू उपयोग के बाद निकले अपशिष्ट जल का सिर्फ आठ फीसदी ही शोधन के बाद दोबारा उपयोग में लाया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार आधारभूत ढांचे में कमी, उन्नत तकनीक तथा संस्थाओं का अभाव निम्न आय वाले देशों में जल शोधन के निम्न स्तर की मुख्य वजहें हैं.
जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर, न्यूनतम जन सुविधाएं तथा सफाई की कमी के कारण तीसरी दुनिया के बड़े शहरों का हाल बेहद बुरा है. इन्हीं स्थितियों के कारण इस्तेमाल हुआ पानी बगैर या नाममात्र के शोधन के बाद सीधे सीवर या खुले नालों के द्वारा बहा दिया जाता है, जो जल स्रोतों को प्रदूषित कर मानवों में तमाम संक्रामक बिमारियों का कारण बनता है.
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में हालांकि यह उम्मीद व्यक्त की गई है कि 2030 तक पूरी दुनिया में गैर-शोधित जल की मात्रा आधी रह जाएगी तथा सुरक्षित जल के दोबारा प्रयोग की मात्रा में वृद्धि होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
संयुक्त राष्ट्र की विश्व जल विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च आय वाले देशों में जहां अपशिष्ट जल शोधन का स्तर 70 फीसदी तक पहुंच सकता है, लेकिन उच्च-मध्यम आय तथा निम्न-मध्यम आय वाले देशों में यह घटकर क्रमश: 38 तथा 28 फीसदी रह जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार निम्न आय वाले देशों में, उद्योगों तथा घरेलू उपयोग के बाद निकले अपशिष्ट जल का सिर्फ आठ फीसदी ही शोधन के बाद दोबारा उपयोग में लाया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार आधारभूत ढांचे में कमी, उन्नत तकनीक तथा संस्थाओं का अभाव निम्न आय वाले देशों में जल शोधन के निम्न स्तर की मुख्य वजहें हैं.
जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर, न्यूनतम जन सुविधाएं तथा सफाई की कमी के कारण तीसरी दुनिया के बड़े शहरों का हाल बेहद बुरा है. इन्हीं स्थितियों के कारण इस्तेमाल हुआ पानी बगैर या नाममात्र के शोधन के बाद सीधे सीवर या खुले नालों के द्वारा बहा दिया जाता है, जो जल स्रोतों को प्रदूषित कर मानवों में तमाम संक्रामक बिमारियों का कारण बनता है.
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में हालांकि यह उम्मीद व्यक्त की गई है कि 2030 तक पूरी दुनिया में गैर-शोधित जल की मात्रा आधी रह जाएगी तथा सुरक्षित जल के दोबारा प्रयोग की मात्रा में वृद्धि होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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