वाशिंगटन:
अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिसने 24 वर्षीय लकवाग्रस्त व्यक्ति के हाथ को काम करने लायक बनाया है। यह उपकरण उसके हाथ को एक क्रेडिट कार्ड को पकड़ने और स्वाइप करने और अपनी उंगिलयों से गिटार वीडियो खेल खेलने के योग्य बनाता है।
पहला व्यक्ति जिसपर न्यूरोलाइफ नाम के उपकरण का इस्तेमाल किया गया
वैज्ञानिकों ने कहा कि ये जटिल काम उसके खुद की सोच है और एक सरल चिकित्सा प्रणाली है। ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने कहा है कि इयान बुरखर्ट ओहायो के रहने वाले हैं और वह लकवाग्रस्त हैं। वह पहले व्यक्ति हैं जिहोंने न्यूरोलाइफ नाम के इस उपकरण का इस्तेमाल किया है।
मस्तिष्क को सीधा मांसपेशियों से जोड़ते हैं
उन्होंने कहा कि यह इलेक्ट्रॉनिक नसें रीढ़ की हड्डी में लगी चोटों को नजरअंदाज करके मस्तिष्क को सीधा मांसपेशियों से दोबारा से जोड़ती है जिससे लकवाग्रस्त अंग खुद अपनी सोच का इस्तेमाल करके काम करने लगता है।
उन्होंने कहा कि उपकरण सोच और मस्तिष्क से मिल रहे संकेतों की व्याख्या करता है और फिर उसकी चोटिल रीढ़ की हड्डी को नजरअंदाज करके उन्हें सीधे एक उपकरण से जोड़ता है जो व्यक्ति के बाजू और हाथ को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को प्रेरित करता हैं।
यह शोध ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है
ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के अली रेजाई ने कहा कि हम पहली बार यह दिखा रहे हैं कि एक लकवाग्रस्त मरीज अपने मोटर फंक्शन (जब मस्तिष्क, तांत्रिका तंत्र और मांसपेशियां साथ में काम करती है) और हाथ की गतिविधियों के स्तर में सुधार लाने के योग्य है। यह शोध ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पहला व्यक्ति जिसपर न्यूरोलाइफ नाम के उपकरण का इस्तेमाल किया गया
वैज्ञानिकों ने कहा कि ये जटिल काम उसके खुद की सोच है और एक सरल चिकित्सा प्रणाली है। ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने कहा है कि इयान बुरखर्ट ओहायो के रहने वाले हैं और वह लकवाग्रस्त हैं। वह पहले व्यक्ति हैं जिहोंने न्यूरोलाइफ नाम के इस उपकरण का इस्तेमाल किया है।
मस्तिष्क को सीधा मांसपेशियों से जोड़ते हैं
उन्होंने कहा कि यह इलेक्ट्रॉनिक नसें रीढ़ की हड्डी में लगी चोटों को नजरअंदाज करके मस्तिष्क को सीधा मांसपेशियों से दोबारा से जोड़ती है जिससे लकवाग्रस्त अंग खुद अपनी सोच का इस्तेमाल करके काम करने लगता है।
उन्होंने कहा कि उपकरण सोच और मस्तिष्क से मिल रहे संकेतों की व्याख्या करता है और फिर उसकी चोटिल रीढ़ की हड्डी को नजरअंदाज करके उन्हें सीधे एक उपकरण से जोड़ता है जो व्यक्ति के बाजू और हाथ को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को प्रेरित करता हैं।
यह शोध ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है
ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के अली रेजाई ने कहा कि हम पहली बार यह दिखा रहे हैं कि एक लकवाग्रस्त मरीज अपने मोटर फंक्शन (जब मस्तिष्क, तांत्रिका तंत्र और मांसपेशियां साथ में काम करती है) और हाथ की गतिविधियों के स्तर में सुधार लाने के योग्य है। यह शोध ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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