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This Article is From Aug 28, 2020

कौन हैं ब्रिटेन की वो भारतीय मूल की जासूस नूर इनायत खान, जिसे मिला लंदन में 'मेमोरियल प्लाक'

दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन की भारतीय मूल की महिला जासूस नूर इनायत खान लंदन में मेमोरियल प्लाक से सम्मानित की जाने वाली पहली महिला बनी गई हैं.

कौन हैं ब्रिटेन की वो भारतीय मूल की जासूस नूर इनायत खान, जिसे मिला लंदन में 'मेमोरियल प्लाक'
नूर इनायत खान के घर में मेमोरियल प्लाक लगाकर किया जाएगा सम्मानित.
लंदन:

दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन की भारतीय मूल की महिला जासूस नूर इनायत खान लंदन में मेमोरियल प्लाक से सम्मानित की जाने वाली पहली महिला बनी गई हैं. शुक्रवार को नूर इनायत खान के नाम पर मध्य लंदन में उनके पूर्व पारिवारिक घर में स्मारक ‘ब्लू प्लाक' देकर सम्मानित किया जाएगा. English Heritage charity की ओर से चलाई जाने वाली Blue Plaque Scheme के तहत प्रख्यात लोगों और संगठनों को सम्मानित करता है जो लंदन में किसी खास भवन से जुड़े होते हैं. 

नूर इनायत खान की पट्टिका ब्लूम्सबरी में 4 टैविटोन स्ट्रीट पर पहुंची, जहां वो 1943 में नाज़ियों के कब्जे वाले फ्रांस के लिए रवाना होने से पहले रहती थीं. वो ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशन्स एक्जिक्यूटिव (SOE) के लिए अंडरकवर रेडियो संचालक के तौर पर वहां गईं थी.

उनके बारे में एक खास बात यह भी है कि नूर, भारतीय सूफी संत हजरत इनायत खान की बेटी और 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की वंशज थीं जिनकी 1944 में दचाउ यातना शिविर यानी कन्सन्ट्रेशन कैंप में हत्या कर दी गई थी और उन्होंने कैद करने वालों को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी थी यहां तक कि अपना असली नाम भी नहीं बताया था.

इतिहासकार और ‘Spy Princess: The Life of Noor Inayat Khan' की लेखिका श्रावनी बसु ने कहा, 'जब नूर इनायत खान अपने अंतिम मिशन पर अपना घर छोड़कर रवाना हुईं थीं, तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह बहादुरी का प्रतीक बन जाएंगी.' बसु ने कहा, ‘वह एक असाधारण जासूस थीं. सूफी होने की वजह से वह अहिंसा एवं धार्मिक सौहार्द में यकीन करती थीं.'

बसु ने एक छोटे से समारोह में इस मेमोरियल प्लाक का औपचारिक रूप से अनावरण किया जिसका प्रसारण सोशल मीडिया पर किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'यह उचित होगा कि भारतीय मूल की पहली महिला नूर को ब्लू प्लाक के साथ याद रखा जाएगा. इसे देखकर, नूर की कहानी भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी. आज की दुनिया में,एकता और स्वतंत्रता का उनका दृष्टिकोण पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.'

बसु नूर इनायत खान मेमोरियल ट्रस्ट (NIKMT) की संस्थापक-अध्यक्ष हैं जिसने 2012 में पास के गोर्डोन स्कॉयर में नूर की प्रतिमा लगाई थी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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