कोरोनावायरस ( Covid19) के कारण हुए दो साल के लॉकडाउन (Lockdown) ने हमें अकेला बना दिया है, साथ ही मोबाइन या कंप्यूटर की स्क्रीन (Screen) पर चिपके रहने की लत (Addiction) ने हमारी सोने की आदत (Sleeping Habit) बिगाड़ी है. हाल ही में आए सर्वे की रिपोर्ट (Survey Report) में यह दावा किया गया है. इस सर्वे को मार्केट रिसर्च फर्म Ipsos की ब्रिटिश इकाई ने किया है. बुधवार को जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वे को भरने वाले आधे से अधिक लोगों ने कहा कि उन्हें डर है कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और उनमें से एक छोटे समूह ने कहा कि चीजें फिर कभी पहले जैसी नहीं होंगी.
यह सर्वे 4-7 मार्च के बीच ब्रिटेन में किया गया था. इसमें 16 साल से अधिक उम्र के 1,229 लोगों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे को लंदन के किंग्स कॉलेज के पॉलिसी इंस्टिट्यूट और Ipsos ने करवाया था.
Ipsos सर्वे कहता है कि एक तिहाई ब्रिटिश नागरिकों का मानना है कि लॉकडाउन की वजह से उनकी शारिरिक और मानसिक सेहत बिगड़ी है. हालांकि चार में से एक यानि करीब 23% लोगों का कहना है कि उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत सुधरी है. पुरुषों की तुलना में (28%) अधिक महिलाओं ने कहा (38%) कि उनकी मानसिक हालत बिगड़ी है.
इस सर्वे का जवाब देने वाले आधे से अधिक लोगों ने यह भी कहा कि वो महामारी से पहले की तुलना में अब स्क्रीन पर अधिक समय बिता रहे हैं. 5 में से 2 लोगों से कुछ अधिक ने ( 46%) ने कहा कि वो अब महामारी के बारे में दिन में एक बार सोशल मीडिया पर खबर ज़रूर देखते हैं. इनमें से 7% ने कहा कि वो हर घंटे अपने सोशल मीडिया की फीड चेक करते हैं.
सोने की बात करें तो एक तिहाई लोगों ने कहा कि वो अच्छी नींद नहीं ले पाते. जबकि 25% जवाब देने वालों ने कहा कि उनके सोने का पैटर्न अब पहले से अधिक खराब हुआ है. 20% ने कहा कि वो अब कम घंटे सोते हैं.
इस सर्वे में यह भी कहा गया है कि 48% जवाब देने वाले लोगों ने यह भी कहा कि अगर वैक्सीन को मात देने वाला कोई नया वायरस का वेरिएंट आता है तो वो पुराने प्रतिबंधों को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. केवल 34% ने कहा कि वो राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन दोबारा चाहते हैं.
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