भारत-नेपाल सीमा पर मधेशी आंदोलन के चलते रास्ता बंद होने से खड़े वाहन (फाइल फोटो)।
काठमांडू:
नेपाल के उप प्रधानमंत्री ने शनिवार को भारत पर आरोप लगाया कि वह तराई क्षेत्र को देश से अलग करने और उसे अपने साथ मिलाने का प्रयास कर रहा है। दूसरी तरफ माओवादी प्रमुख प्रचंड ने कहा कि अगर भारत वर्चस्व जमाने की कोशिश करता है तो नेपाल को ‘ऐसे दमन के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
मधेशी आंदोलन को भारत की साजिश बताया
उप प्रधानमंत्री सीपी मैनाली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के साथ लगे मुख्य व्यापार स्थलों की भारतीय मूल के मधेशियों की अगुवाई में हुई नाकेबंदी पूरे देश से तराई क्षेत्र को अलग करके इसे अपने साथ मिलाने की भारतीय साजिश का हिस्सा है जहां ‘एक मधेश, एक प्रदेश’ की मांग है। समाचार पत्र ‘काठमांडो पोस्ट’ के अनुसार उन्होंने कहा, ‘यह दोनों देशों की स्थिरता के पक्ष में नहीं है।’ मैनाली ने दावा किया कि भारत तराई क्षेत्र को नाकेबंदी के जरिए अलग करने की साजिश को अंजाम दे रहा है। उन्होंने कहा कि जब पहचान का मुद्दा आता है तो मधेशी लोगों को अब तक के सबसे ज्यादा अधिकार मिले हैं।
प्रचंड ने कहा, अनुचित दबाव के खिलाफ लड़ने को तैयार
यूसीपीएन-माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि नेपाली जनता ‘अघोषित’ नाकेबंदी के जरिए भारत के अनुचित दबाव के खिलाफ खड़े होने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘हम नेपाल-भारत संबंध को समझ के जरिए आगे बढ़ाना चाहते हैं। परंतु अगर भारत ने हम पर वर्चस्व जमाने की कोशिश की, हमें ऐसे दमन के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
मधेशी आंदोलन को भारत की साजिश बताया
उप प्रधानमंत्री सीपी मैनाली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के साथ लगे मुख्य व्यापार स्थलों की भारतीय मूल के मधेशियों की अगुवाई में हुई नाकेबंदी पूरे देश से तराई क्षेत्र को अलग करके इसे अपने साथ मिलाने की भारतीय साजिश का हिस्सा है जहां ‘एक मधेश, एक प्रदेश’ की मांग है। समाचार पत्र ‘काठमांडो पोस्ट’ के अनुसार उन्होंने कहा, ‘यह दोनों देशों की स्थिरता के पक्ष में नहीं है।’ मैनाली ने दावा किया कि भारत तराई क्षेत्र को नाकेबंदी के जरिए अलग करने की साजिश को अंजाम दे रहा है। उन्होंने कहा कि जब पहचान का मुद्दा आता है तो मधेशी लोगों को अब तक के सबसे ज्यादा अधिकार मिले हैं।
प्रचंड ने कहा, अनुचित दबाव के खिलाफ लड़ने को तैयार
यूसीपीएन-माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि नेपाली जनता ‘अघोषित’ नाकेबंदी के जरिए भारत के अनुचित दबाव के खिलाफ खड़े होने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘हम नेपाल-भारत संबंध को समझ के जरिए आगे बढ़ाना चाहते हैं। परंतु अगर भारत ने हम पर वर्चस्व जमाने की कोशिश की, हमें ऐसे दमन के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
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