नेपाल ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड में धारचुला से जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क के निर्माण के खिलाफ विरोध जताते हुए सोमवार को भारतीय राजदूत को एक पत्र सौंपा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को 80 किलोमीटर लंबे इस नए मार्ग का उद्घाटन किया था, जिससे चीन के तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को मदद मिलने उम्मीद है क्योंकि यह लिपुलेख दर्रे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है.
लिपुलेख दर्रा नेपाल के पश्चिम में भारत से लगी सीमा पर विवादित क्षेत्र कालापानी के निकट स्थित है. भारत और नेपाल दोनों ही कालापानी को अपना अभिन्न अंग मानते हैं. भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़़ जिले का जबकि नेपाल धारचुला जिले का हिस्सा मानता है. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली से मुलाकात की.
बैठक के दौरान ग्यावली ने भारतीय राजदूत को सीमा मुद्दे पर नेपाल सरकार के रूख के बारे में अवगत कराया. इसमें कहा गया, 'मंत्रालय ने राजदूत क्वात्रा को एक राजनयिक पत्र भी सौंपा.' नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि यह सड़क भारतीय सीमा क्षेत्र के भीतर आती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में हाल में जिस सड़क का उद्घाटन किया गया था, वह पूरी तरह से भारतीय सीमा क्षेत्र में आती है.
नेपाल सरकार ने तिब्बत के मानसरोवर से जुड़ने के लिए भारत सरकार द्वारा लिपुलेख क्षेत्र में सड़क के निर्माण पर आपत्ति जताई है. नेपाल का दावा है कि जिस क्षेत्र में सड़क का निर्माण किया गया है, वह उसके सीमा क्षेत्र में आता है.
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