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This Article is From Sep 14, 2015

जनमत संग्रह के उलट संविधान सभा ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रस्ताव किया खारिज

जनमत संग्रह के उलट संविधान सभा ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रस्ताव किया खारिज
समान नागरिक अधिकारों के प्रदर्शन करती महिलाएं (AFP फाइल फोटो)
काठमांडू:

नेपाली संविधान सभा ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के प्रस्ताव को सोमवार को भारी बहुमत से ठुकरा दिया और यह घोषित किया गया कि हिन्दू बहुल यह हिमालयी देश धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा। संविधान सभा के इस फैसले के विरोध में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए, जबकि संघीय ढांचे को लेकर हालात पहले से ही खराब हैं।

हिन्दू समर्थक समूह राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी नेपाल (आरपीपी-एन) की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें संविधान में संशोधन के जरिए नेपाल का हिन्दू राष्ट्र का दर्जा फिर से बहाल करने की बात की गई थी। 601 सदस्यीय संविधान सभा में दो तिहाई से अधिक सदस्यों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

नेपाली संविधान सभा की ओर से संविधान के मसौदे के अनुच्छेदों पर मतदान के दौरान सांसदों ने घोषणा की कि नेपाल धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा। आरपीपी-एन के अध्यक्ष कमल थापा ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र फिर से बनाने की मांग को लेकर अनुच्छेद चार में संशोधन का प्रस्ताव दिया था।

बहरहाल, पार्टी सूत्रों के अनुसार नेपाल के हिन्दू राष्ट्र के तौर पर बहाली का प्रस्ताव ठुकरा दिया गया, क्योंकि इसे जरूरी 10 फीसदी मत नहीं मिले। संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र ने प्रस्ताव के ठुकराए जाने का ऐलान किया तो थापा ने मत विभाजन की मांग की।

21 के मुकाबले 61 मत पड़े विरोध में
थापा के प्रस्ताव के पक्ष में 601 सदस्यीय संविधान सभा में सिर्फ 21 मत मिले, जबकि मत विभाजन के लिए 61 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। पहले हिन्दू राष्ट्र रहे नेपाल को जन आंदोलन की सफलता के कारण हुए राजशाही के खात्मे के बाद 2008 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था।

इसी साल जुलाई में जनमत संग्रह के दौरान अधिकांश नेपालवासिायों ने नए संविधान में 'धर्मनिरनेक्षता' की बजाय 'हिन्दू' अथवा 'धार्मिक स्वतंत्रता' शब्द को शामिल करने को तरजीह दी थी। संविधान सभा में प्रस्ताव खारिज होने के बाद हिन्दू कार्यकर्ताओं के समूह पीले और भगवा झंडे लेकर सड़कों पर निकले तथा काठमांडू के न्यू बनेवश्वर इलाके में सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प हुई।

कई इलाकों में हिंसक झड़प, करीब 40 लोगों की मौत
झड़प उस वक्त हुई जब पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। प्रदर्शनकारियों ने संविधान सभा की इमारत के निकट उस इलाके में घुसने का प्रयास किया, जहां निषेधाज्ञा लगी हुई है।

प्रदर्शनकारी संविधान सभा की ओर मार्च करना चाहते थे। प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र के एक वाहन सहित कई वाहनों पर हमला किया। नेपाल रविवार को नए संविधान को लागू करने के अंतिम दौर में पहुंच गया।

मधेसी पार्टियां नए संविधान का विरोध कर रही हैं और हिंसक प्रदर्शनों में करीब 40 लोगों की मौत हो चुकी है। मधेसी पार्टियां सात प्रांतों वाली संघीय व्यवस्था का विरोध कर रही हैं।

80 फीसदी जनसंख्या हिन्दू
गौरतलब है कि नेपाल की जनसंख्या में 80 फीसदी हिन्दू, 10 फीसदी बौद्ध, 5 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी किरांत-ईसाई व अन्य हैं। हाल के सालों तक नेपाल को दुनिया का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र माना जाता रहा है। साल 2006 में राजशाही खत्म होने के बाद मई 2008 में प्रभाव में आए बिल के अनुसार नेपाल को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर दिया गया।

इसके बावजूद इस हिन्दू बहुल देश के अधिकतर लोग देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग करते रहे हैं। नेपाल का पहली बार उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। स्कंद पुराण में तो नेपाल महात्म्य के नाम से एक अलग चैप्टर ही है।

लोककथाओं के अनुसार पुरातन काल में 'ने' नाम के एक हिन्दू साधु काठमांडू की घाटी में रहते थे। वे इस घाटी की रक्षा करते थे, जिसे स्थानीय भाषा में पाल या पाली कहा जाता है। इसी से इस हिमालयी देश का नाम नेपाल पड़ा।

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