काठमांडू:
नेपाल में दूसरी बार माओवादियों की सरकार बनने के रविवार को संकेत दिखाई दिए। नेपाली संसद तीन वर्षों में चौथे प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए एक बार फिर तैयार है। माओवादियों के उपप्रमुख बाबूराम भट्टराई नेपाल के 35वें प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव मैदान में हैं और उनका प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है, क्योंकि अंतिम समय में उनकी पार्टी ने पांच क्षेत्रीय पार्टियों के एक गठबंधन का समर्थन हासिल करने में सफल हो गई है। ये पांचों पार्टियां रविवार के मतदान में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। भट्टराई नेपाल की बोर्ड परीक्षा के टॉपर हैं और उन्होंने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है। यहां तक कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले भी भट्टराई अपने प्रतिद्वंद्वी, नेपाली कांग्रेस के रामचंद्र पौडल पर भारी थे, क्योंकि माओवादियों की पार्टी 601 सदस्यीय संसद में 237 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। जबकि नेपाली कांग्रेस के 114 सदस्य हैं। कुछ सांसदों के निधन और कुछ की संसदीय सदस्यता समाप्त किए जाने के कारण इस समय संसद में कुल 594 सांसद रह गए हैं, और चुनाव जीतने के लिए 298 मतों की जरूरत होगी। तराई की पांच पार्टियों वाले मधेसी मोर्चा के पास 71 सांसद हैं। मधेसी मोर्चा ने रविवार को भट्टराई को समर्थन देने की घोषणा की। एक छोटी वामपंथी पार्टी, जन मोर्चा ने भी कहा है कि वह भट्टराई को समर्थन देगी। इस पार्टी के पास पांच सांसद हैं। पौडल पूर्व उपप्रधानमंत्री हैं और इसके पहले हुए 17 चक्र के मतदान में भी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार थे। शनिवार की रात वह कम्युनिस्टों का समर्थन हासिल करने में सफल हो गए। लेकिन 108 कम्युनिस्ट सांसदों के समर्थन के बावजूद पौडल की जीत कठिन है। पिछली बार हुए 17 दौर के मतदान के विपरीत रविवार का मतदान चुनावी नियम में हुए एक परिवर्तन के कारण निर्णायक होगा। इस परिवर्तन के बाद अब सांसद न तो मतदान में तटस्थ रह सकते हैं और न तो ऐसा ही कर सकते हैं कि वे मतदान में हिस्सा न लें।
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