
मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट 3 ने भारतीय नौसेना के वेस्टर्न नेवल कमांड के उच्च सुरक्षा क्षेत्रों में प्रवेश पाने के लिए फर्जी पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) बनाने और इस्तेमाल करने के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान अनूप नंदकिशोर वर्मा (28) और इरशाद वकील अहमद (36) के रूप में हुई है. अनूप बिहार के कैमूर जिले का रहने वाला है, जबकि इरशाद मुंबई के कोलाबा इलाके का निवासी है. दोनों को 3 जुलाई को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 8 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है.
तीसरे आरोपी देबज्योति विरेंद्रनाथ बसु (74), जो चांदीवली के निवासी हैं, को उनकी उम्र को देखते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35(3) के तहत नोटिस जारी किया गया है.
क्राइम ब्रांच के अनुसार, कार्रवाई की शुरुआत तब हुई जब वेस्टर्न नेवल कमांड के कमांड इंटेलिजेंस ऑफिसर ने उन ठेकेदारों के कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए PCC पर संदेह जताया, जो रक्षा परियोजनाओं के तहत नौसेना क्षेत्रों में कार्यरत थे. इन कर्मचारियों के लिए वैध PCC आवश्यक होता है.
जांच में सामने आया कि अनूप वर्मा और देबज्योति बसु द्वारा जमा किए गए PCC नकली थे. क्राइम ब्रांच की कॉन्फिडेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने प्राथमिक जांच की, जिसके बाद मुंबई स्पेशल ब्रांच की ‘G' डिवीजन और कफ परेड पुलिस स्टेशन ने पुष्टि की कि ऐसे कोई प्रमाणपत्र जारी ही नहीं किए गए थे.
पुलिस ने तीन मोबाइल फोन और पहचान से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं. आरोप है कि इरशाद अहमद ने ही ये फर्जी PCC तैयार किए और वर्मा व बसु को दिए, ताकि वे नौसेना के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश कर सकें.
अनूप वर्मा का एप्लिकेशन ID – MUCT01241004168 और देबज्योति बसु का – MUCT012410044345 था.
मामले में कफ परेड पुलिस स्टेशन में 3 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 318(1), 335, 336(2), 337, 339, 340(2), 3(5), और 61(2) शामिल हैं.
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