
- नेपाल में युवाओं का गुस्सा आर्थिक असमानता और बुजुर्ग नेताओं से मोहभंग के कारण हिंसक आंदोलन में बदल गया है.
- नेपाल के 20 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी में रहते हैं और युवाओं में बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से ऊपर है.
- नेपाल के सबसे अमीर दस प्रतिशत लोग गरीब चालीस प्रतिशत की तुलना में तीन गुना अधिक कमाई करते हैं.
नेपाल अपने इतिहास के एक और बड़े मोड़ से गुजर रहा है. नेपाल में युवाओं का गुस्सा आंदोलन के रूप में फूट पड़ा है. 14- 15 साल तक के बच्चे सड़कों पर उतरे हैं, उनका विद्रोह कई जगह हिंसक रूप ले चुका है. नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर कई मंत्रियों को जबर्दस्त प्रदर्शन के बीच इस्तीफा देना पड़ा है. सवाल है कि कोई देश 2 दिन में इतना कैसे बदल सकता है. क्या नेपाल के युवाओं ने सिर्फ इस वजह से तख्तापलट कर दिया क्योंकि सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए थे. इसका जवाब है नहीं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन ने भले चिंगारी देने का काम किया लेकिन इस आंदोलन के पीछे की सबसे बड़ी वजह आर्थिक असमानता से लेकर बुजुर्ग नेताओं से मोहभंग तक को माना जा रहा है.
नेपाल से विद्रोह के बीच एक नारा तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो इस आंदोलन के पीछे की वजहों को साफ-साफ हम सबके सामने लाता है. इस नारे का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है- नेता का बच्चा गाड़ी में, गाड़ी पहुंची खाड़ी में. इसी नारे में ये युवा कहते हैं कि बूढ़े नेताओं ने अति कर दी है, अब युवाओं के हाथ में शक्ति होनी चाहिए. हमारा नेपाल हमारे हाथ में दो.
'नेता का बच्चा गाड़ी में, गाड़ी पहुंची खाड़ी में'
— NDTV India (@ndtvindia) September 10, 2025
नेपाल से विद्रोह के बीच एक नारा तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस नारे का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है- नेता का बच्चा गाड़ी में, गाड़ी पहुंची खाड़ी में. इसी नारे में ये युवा कहते हैं कि बूढ़े नेताओं ने अति कर दी है, अब… pic.twitter.com/sls6bCD4gm
नेपाल में चरम पर आर्थिक असमानता
वर्ल्ड बैंक के अनुसार, नेपाल के 3 करोड़ लोगों में से 20% से अधिक लोग गरीबी में रहते हैं. 2022-23 में 15-24 आयु के युवाओं में बेरोजगारी दर 22% से अधिक थी. नेपाल के सबसे अमीर 10% लोग सबसे गरीब 40% की कमाई के मुकाबले में तीन गुना से अधिक कमाते हैं. यह नेपाल के अंदर गंभीर आर्थिक विभाजन को रेखांकित करता है.
नेपाल के युवाओं को इस बात की भी नाराजगी है कि वहां के नेता के बच्चे अपने आलिशान जीवन को न सिर्फ जीते हैं बल्कि सोशल मीडिया के जरिए वो उसकी शेखी भी बघारते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार कुछ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले काठमांडू के 34 वर्षीय गौरव नेपुने ने कहा कि नेपाल के युवा मंत्रियों और उनके परिवारों की जिंदगी आम लोगों के जीवन से कितनी अलग है, इसे देश और दुनिया के सामने लाने के लिए तीन महीने से एक ऑनलाइन कैंपेन चला रहे थे.
नेपाल सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वहां 15-40 आयु वर्ग के लोग कुल जनसंख्या का लगभग 43 प्रतिशत हैं. लेकिन उनका मानना है कि सरकार पर बुजुर्ग नेताओं ने कंट्रोल कर लिया था जो उनकी भावनाओं, उनकी महत्वकांक्षाओं को नहीं समझते हैं. 78 साल के पीएम केपी ओली को उन्होंने इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया है. 35 साल के इंजीनियर से रैपर और अब नेता बने बालेंद्र शाह की ओर नेपाल के युवाओं का झुकाव देखने को मिल रहा है. बालेंद्र शाह को 2022 में काठमांडू के मेयर के रूप में चुना गया था, और जिन्हें आगे नेतृत्व के लिए एक लोकप्रिय पसंद के रूप में देखा जा रहा है.
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