बर्लिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी में रह रहे भारतीय पेशेवरों से कहा कि वे भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने में मदद के लिए दोनों देशों के बीच सेतु का काम करें। इसके साथ ही उन्होंने भारत में अनुकूल माहौल का वादा किया।
मोदी यहां भारतीय समुदाय का संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘यह दोनों देशों के लिए फायदे की बात है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत को विनिर्माण हब बनाने के हमारे उद्देश्य को हासिल करने के लिए जर्मनी में रह रहे पेशेवर भारतीय भारत व जर्मनी के बीच सेतु बन सकते हैं।’ इसके साथ ही मोदी ने ‘संतुलित वृद्धि’ की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि कृषि, विनिर्माण व सेवा क्षेत्र पर समान जोर दिया जाना चाहिए।
आईटी क्रांति का ज्रिक करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीयों को इसमें बड़ी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि सिलिकन वैली में अनेक सीईओ भारतीय मूल के हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पेशेवरों को भारत में अच्छे माहौल का आश्वासन मिलता तो गूगल जैसे उप्रकम भारत से शुरू हो सकते थे।
अमेरिका में कुछ चीनी विद्यार्थियों से अपनी बैठक को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब उनसे अध्ययन के बाद की योजनाओं के बारे में पूछा गया तो वे (छात्र) बोले कि वे दस साल तक अमेरिका में काम करेंगे और उसके बाद इस अनुभव को लेकर अपने देश जाएंगे ताकि उसे आगे ले जा सकें।
भारतीय समुदाय की ओर से बर्लिन में आयोजित स्वागत समारोह में एक बेबाक टिप्पणी में मोदी ने कहा, ‘हम अपने मोहल्ले में तो हरकुलिस होते हैं लेकिन जब बाहर निकलें तो पता चलता है कि हम कहां हैं। हमें कई चीजों का पता चलता है और हम प्रतिस्पर्धा व नई ऊंचाइयां हासिल करने को प्रेरित होते हैं।’ उन्होंने दोहराया कि भारत को विनिर्माण हब बनाना उनके लिए केवल आर्थिक लक्ष्य नहीं है बल्कि ‘आत्मसम्मान आंदोलन’ भी है।
मोदी ने कहा कि अनेक उत्पाद बाहर से आते हैं। हल्के फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा,‘ हमें तो अश्रु गैस के डिब्बे भी बाहर से मंगवाने पड़ते हैं।’
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