रविवार को एक दर्जन देशों के रक्षा प्रमुखों ने संयुक्त रूप से एक दिन पहले म्यांमार में हुए खून-खराबे की निंदा की थी, जब प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों द्वारा गोलियां चलाने से कम से कम 90 लोग (जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे) मारे गए. एक स्थानीय निगरानी समूह के अनुसार, 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद से करीब 423 लोगों की मौत हो चुकी है. नए शासन ने शनिवार को अपने वार्षिक सशस्त्र सेना दिवस के लिए एक बड़ा प्रदर्शन किया.
आन सान सू ची की निर्वाचित सरकार को एक फरवरी को तख्तापलट के जरिये हटाने के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से निपटने के लिये सेना बल का इस्तेमाल कर रही है और ऐसे में म्यांमा में मरने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. करीब पांच दशक के सैन्य शासन के बाद लोकतांत्रिक सरकार की दिशा में हुई प्रगति पर इस सैन्य तख्तापलट ने विपरीत असर डाला है.
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अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित 12 देशों के रक्षा मंत्रियों ने रविवार को म्यांमार की सेना द्वारा नागरिकों के खिलाफ घातक बल के इस्तेमाल की निंदा की. एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘एक पेशेवर सेना आचरण के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती है और लोगों को नुकसान पहुंचाने के बजाए उनकी रक्षा करती है. हम म्यांमा सशस्त्र बल से अपील करते हैं कि वह हिंसा बंद करे और म्यांमा के लोगों में अपना सम्मान एवं विश्वसनीयता फिर से कायम करने के लिए काम करें, जो कि उसने अपने इन कृत्यों से गंवा दी है.'
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स्थानीय निगरानी समूह ‘एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स' ने बताया कि पूरे देश में हिंसा फैली हुई है और 9 रीजन के करीब 40 शहरों में सेना हथियारों का इस्तेमाल कर रही है. AAPP ने बताया कि तख्तापलटी के बाद से यह सबसे ज्यादा खून-खराबा वाला दिन था, जिसमें 90 लोग मारे गए. साथ ही बताया कि सेना ने रिहायशी इलाकों में मशीन गन से फायरिंग की, जिसकी वजह से कई नागरिकों को जान गंवानी पड़ी. इनमें दस से 16 साल के छह बच्चे भी शामिल हैं.
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