पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि साल 2007 में संविधान के उल्लंघन के लिए केवल देश के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर ही राजद्रोह के आरोपों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने साल 2007 में राष्ट्रपति रहते हुए मुशर्रफ द्वारा आपातकाल लगाए जाने के मामले में शुरू किए गए देशद्रोह के मुकदमे की जांच से पूर्व मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हमीद डोगर का नाम हटाने की उनकी (डोगर की) याचिका को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने आरोपियों की सूची में से तीन नामों को हटा दिया। मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे तीन सदस्यीय विशेष न्यायालय ने फेडरल जांच एजेंसी (एफआईए) को पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, पूर्व मंत्री जाहिद हामिद और पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डोगर का नाम हटाते हुए फिर से जांच करने का आदेश दिया।
डोगर ने मामले में खुद को शामिल किए जाने को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने 12 दिसंबर, 2015 को उनकी याचिका नामंजूर कर दी थी। उन्होंने इसे फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसने कहा कि मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायालय को देशद्रोह मामले में किसी अन्य व्यक्ति को शामिल करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे तीन सदस्यीय पैनल को जल्द से जल्द मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश भी दिया। देशद्रोह का मामला साबित होने पर पाकिस्तान में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। मुशर्रफ साल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर सत्ता में आए थे और साल 2008 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
शीर्ष न्यायालय ने साल 2007 में राष्ट्रपति रहते हुए मुशर्रफ द्वारा आपातकाल लगाए जाने के मामले में शुरू किए गए देशद्रोह के मुकदमे की जांच से पूर्व मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हमीद डोगर का नाम हटाने की उनकी (डोगर की) याचिका को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने आरोपियों की सूची में से तीन नामों को हटा दिया। मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे तीन सदस्यीय विशेष न्यायालय ने फेडरल जांच एजेंसी (एफआईए) को पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, पूर्व मंत्री जाहिद हामिद और पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डोगर का नाम हटाते हुए फिर से जांच करने का आदेश दिया।
डोगर ने मामले में खुद को शामिल किए जाने को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने 12 दिसंबर, 2015 को उनकी याचिका नामंजूर कर दी थी। उन्होंने इसे फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसने कहा कि मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायालय को देशद्रोह मामले में किसी अन्य व्यक्ति को शामिल करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने मुशर्रफ पर मुकदमे की सुनवाई कर रहे तीन सदस्यीय पैनल को जल्द से जल्द मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश भी दिया। देशद्रोह का मामला साबित होने पर पाकिस्तान में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। मुशर्रफ साल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर सत्ता में आए थे और साल 2008 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।
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