इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को सोमवार को भगौड़ा घोषित कर दिया। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या की जांच में उनके सहयोग नहीं करने के कारण ऐसा किया गया। 'ऑनलाइन' न्यूज एजेंसी के अनुसार रावलपिंडी में न्यायमूर्ति राणा निसार अहमद की अदालत ने संघीय जांच एजेंसी के अनुरोध पर मुशर्रफ को भगौड़ा घोषित किया। अदालत की कार्यवाही सुरक्षा कारणों से अदियाला जेल में हुई। अभियोजकों ने कहा कि वे अदालत द्वारा मुशर्रफ के खिलाफ जारी वारंट उन्हें नहीं पहुंचा पा रहे हैं। मुशर्रफ 2009 से ही ब्रिटेन में स्व-निर्वासन में रह रहे हैं। लेकिन ब्रिटेन से पाकिस्तान की प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के कारण ब्रिटिश प्रशासन से उन्हें वारंट मुशर्रफ तक पहुंचाने में सहयोग नहीं मिला। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि भगौड़े के रूप में मुशर्रफ का विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित होगा। प्रशासन को पूर्व राष्ट्रपति की सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार भी होगा। वर्ष 2007 में हुई भुट्टो की हत्या के पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा इसलिए लम्बित है, क्योंकि मुशर्रफ ने जांचकर्ताओं से सहयोग करने से इनकार कर दिया। अभियोजकों ने अदालत में मुशर्रफ का एक साक्षात्कार भी दिखाया, जिसमें उन्हें पाकिस्तान में चल रहे मुकदमे के बारे में जानकारी होने की बात कही गई है। वहीं, 'जियो न्यूज' के मुताबिक, मुशर्रफ की पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के प्रवक्ता फवद चौधरी ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा उनके नेता को देश लौटने से रोकने के लिए किया जा रहा है। लेकिन वह अपने संकल्प से पीछे हटने वाले नहीं हैं। इससे पहले फरवरी में रावलपिंडी की अदालत ने मुशर्रफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था जब जांचकर्ताओं ने उन्हें 'फरार' घोषित किया था। जांचकर्ताओं का आरोप है कि स्व-निर्वासन के बाद 2007 में पाकिस्तान लौटने वाली भुट्टो को तत्कालीन मुशर्रफ सरकार ने पर्याप्त सुरक्षा नहीं मुहैया कराई, जिसकी वजह से उसी साल 27 दिसम्बर को आत्मघाती बम हमले में उनकी मौत हो गई।
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