नवनिर्वाचित डोनाल्ड ट्रम्प ने रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है. बता दें कि 50 साल के माइक वाल्ट्ज पूर्व आर्मी ग्रीने बेरेट हैं, जो अफगानिस्तान में भी तैनात रहे हैं. वाल्ट्ज एक ऐसे पद पर रहेंगे जो अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है.
कौन हैं माइक वाल्ट्ज
फ्लोरिडा के बोइनटन बीच पर जन्में माइक को केवल उनकी मां ने पाला है और उनके नाना नेवी चीफ थे. वह फ्लोरिडा के पूर्व-मध्य क्षेत्र से तीन बार रिपब्लिकन प्रतिनिधि रहे हैं, उन्हें अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में चुने जाने वाले पहले ग्रीन बेरेट (अमेरिकी विशेष बल) होने का सम्मान प्राप्त है.
इंडियन कॉकस के सह-अध्यक्ष रहे हैं माइक
भारत और भारतीय अमेरिकियों पर द्विदलीय कांग्रेसनल कॉकस के सह-अध्यक्ष के रूप में, वाल्ट्ज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान कैपिटल हिल में 2023 के संबोधन की व्यवस्था की थी. सीनेट के इंडिया कॉकस की स्थापना 2004 में तत्कालीन सीनेटर हिलेरी क्लिंटन और सीनेट सीनेट द्वारा की गई थी. यह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को बढ़ावा देता है.
रक्षा नीति में माइक वाल्ट्ज का बैकग्राउंड और चीन पर उनका रुख
रक्षा नीति में माइक वाल्ट्ज का बैकग्राउंड और चीन के लिए उनके मजबूत रुख से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव मिलता है. नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर के तौर पर वाल्ट्ज वेस्ट विंग में अमेरिकी विदेश नीति का समन्वय करेंगे और राष्ट्रपति को दुनियाभर में हो रही चीजों के बारे में बताएंगे. कैपिटल हिल पर वाल्ट्ज ने अफगानिस्तान से असफल वापसी बाइडेन प्रशासन से कई सवाल किए थे और रिपब्लिकन के बीच अपनी पहचान बनाई थी.
माइक वाल्ट्ज़: ट्रैक रिकॉर्ड और मिलिट्रि में उनकी भूमिका
माइक वाल्ट्ज ने नेशलन गार्ड में कर्नल के रूप में काम किया है. वाल्ट्ज को रिजर्विस्ट आर्मी स्पेशल फोर्स के सिपाही के तौर पर कई युद्ध यात्राओं पर अफगानिस्तान में तैनात किया गया था, जबकि वह तत्कालीन रक्षा सचिव डोनाल्ड रम्सफेल्ड के तहत पेंटागन में अफगानिस्तान नीति सलाहकार भी थे. वाल्ट्ज को चार Bronze Stars भी दिए गए थे. मिलिट्री सर्विस से अलग माइक की खुद की एक छोटी कंपनी भी है जिसका नाम मेटिस सॉल्यूशन है - यह डिफेंस और इंटेलिजेंस कंसल्टिंग फर्म है.
चीन और इंडो-पाक पर माइक वाल्ट्ज
सभी जानते हैं कि माइक वाल्ट्स चीन के बड़े आलोचक हैं. रिपब्लिकन चाइना टास्क फोर्स के सदस्य के रूप में, वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संभावित संघर्ष के मद्देनजर अमेरिकी सेना की तैयारी को मजबूत करने की आवश्यकता के बारे में मुखर रहे हैं. अपनी बुक "हार्ड ट्रुथ : थिंक एंड लीड लाइक ए ग्रीन बेरेट" जिसे इसी साल पब्लिश किया गया था में वाल्ट्स ने चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए एक व्यापक रणनीति की रूपरेखा रखी है.
यूक्रेन और नाटो पर माइक वाल्ट्ज
वाल्ट्ज ने विभिन्न क्षेत्रों में ट्रम्प के नीतिगत कदमों का समर्थन किया है लेकिन नाटो और यूक्रेन पर उनका रुख एक सूक्ष्म दृष्टिकोण को दर्शाता है. उन्होंने नाटो सहयोगियों से रक्षा खर्च बढ़ाने का आग्रह करने के लिए ट्रम्प की सराहना की है, लेकिन गठबंधन से हटने के डोनाल्ड ट्रम्प के दिए गए सुझाव से वह सहमत नहीं हैं.
माइक के लिए इस पद की जिम्मेदारी के दौरान आ सकती हैं ये चुनौतियां
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा की गई जिम्मेदारी ने माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों की एक श्रृंखला के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है - जिसमें यूक्रेन को हथियार उपलब्ध कराने के चल रहे प्रयास से लेकर रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते गठबंधन के बारे में बढ़ती चिंताएं, ईरान के प्रतिनिधियों द्वारा मध्य पूर्व में लगातार हमले और इजरायल तथा हमास और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम के लिए दबाव शामिल हैं.
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