मंगल ग्रह पर पानी खोजने का श्रेय जाता है नेपाली मूल के अमेरिकी लुजेंद्र ओझा को। ओझा ने Mars Reconnaissance Orbiter से भेजे गए फोटो के विश्लेषण की नई तकनीक खोजी, जिससे मंगल पर खारे पानी का पता चला।
सिर्फ 25 साल के ओझा अभी अटलांटा के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से पीएचडी कर रहे हैं, लेकिन वो खुद को एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट या खगोलीय विज्ञानी नहीं मानते। ओझा के मुताबिक, अगर उनका बस चलता तो वो अपने बैंड के लिए गिटार बजा रहे होते।
विज्ञान के मामले में ओझा खुद को जैक ऑफ़ ऑल ट्रेड मानते हैं, क्योंकि इसके साथ ही वो भूकंप का भी अध्ययन कर रहे हैं। ओझा का कहना है कि म्यूज़िक बैंड के ज़रिए वो ज़्यादा पैसे नहीं कमा पा रहे थे, इसलिए उन्होंने विज्ञान चुना, लेकिन अब उन्हें लगता है कि विज्ञान के क्षेत्र में भी ज़्यादा पैसे नहीं हैं।
सिर्फ 25 साल के ओझा अभी अटलांटा के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से पीएचडी कर रहे हैं, लेकिन वो खुद को एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट या खगोलीय विज्ञानी नहीं मानते। ओझा के मुताबिक, अगर उनका बस चलता तो वो अपने बैंड के लिए गिटार बजा रहे होते।
विज्ञान के मामले में ओझा खुद को जैक ऑफ़ ऑल ट्रेड मानते हैं, क्योंकि इसके साथ ही वो भूकंप का भी अध्ययन कर रहे हैं। ओझा का कहना है कि म्यूज़िक बैंड के ज़रिए वो ज़्यादा पैसे नहीं कमा पा रहे थे, इसलिए उन्होंने विज्ञान चुना, लेकिन अब उन्हें लगता है कि विज्ञान के क्षेत्र में भी ज़्यादा पैसे नहीं हैं।
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