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This Article is From Oct 09, 2013

आसियान हेतु अलग मिशन, मनमोहन का नई पहल का संकेत

आसियान हेतु अलग मिशन, मनमोहन का नई पहल का संकेत
बंदर सेरी बेगवान: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को यहां कहा कि आसियान के साथ रणनीतिक साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए भारत नई पहल करेगा। उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री गुरुवार को भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में आसियान के लिए एक अलग मिशन और एक राजदूत की भी घोषणा करेंगे।

प्रधानमंत्री 11वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और 8वें पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा पर हैं और ब्रुनेई उनकी इस यात्रा का पहला पड़ाव है।

भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के तहत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) और इसके 10 सदस्य देशों के साथ संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस नीति के तहत दोनों पक्षों के बीच समग्र और बहुआयामी साझेदारी का विकास होना है। वर्षों के दौरान यह संबंध आर्थिक क्षेत्र से आगे निकलकर रणनीतिक मामलों तक पहुंच चुका है।

पिछले वर्ष नई दिल्ली में हुए एक विशेष यादगार शिखर सम्मेलन में संबंधों ने रणनीतिक साझेदारी का रूप ले लिया था और उसके बाद भारत-आशियान का ब्रुनेई में यह पहला शिखर सम्मेलन है।

यात्रा पर रवाना होने से पहले नई दिल्ली में दिए गए वक्तव्य में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत का आसियान के साथ संबंध हमारी पूर्वोन्मुखी नीति के लिए महत्वपूर्ण है। हाल के वर्षों में यह मजबूत, व्यापक और बहुआयामी साझेदारी के रूप में उभरा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "इससे मुझे व मेरे आसियान सहयोगियों को बीते कुछ महीनों में हमारे संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा और हमारे रिश्ते को और अधिक गति देने का अवसर मिलेगा।"

प्रधानमंत्री के साथ आए अधिकारियों ने कहा कि आशियान, भारत के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास है और नई पहल के रूप में सरकार आशियान के एक अलग मिशन की स्थापना करने पर विचार कर रही है। यह मिशन आशियान के सभी देशों से संबंधित तंत्रों और गतिविधियों की देखरेख करेगा।

नए मिशन की स्थापना इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होगी, जहां आसियान का सचिवालय स्थित है।

महत्वपूर्ण व्यक्तियों के समूह (ईपीजी) ने आसियान के लिए समर्पित मिशन की सलाह दी थी और सरकार ने उसे स्वीकार कर लिया है। अधिकारी ने कहा कि नया मिशन आसियान संबंधित सभी गतिविधियों को देखेगा।

कुछ ही सालों में आसियान के साथ भारत का संबंध अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और रक्षा सहयोग से लेकर ऊर्जा तथा प्रौद्योगिकी तक फैल चुका है।

आसियान के साथ विभिन्न क्षेत्रों में 27 अलग-अलग तंत्र काम कर रहे हैं। इन व्यवस्थाओं में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और विदेश मंत्रालय, व्यापार मंत्रालय, कृषि, पर्यटन, दूरसंचार, पर्यावरण तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के स्तर पर सात बैठकें शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "आने वाले महीनों में संवाद के और भी तंत्र सामने आ सकते हैं।"

इस संबंध को अगले चरण पर पहुंचाने के लिए हम आसियान के लिए एक नया मिशन और इस क्षेत्र के लिए एक अलग राजदूत नियुक्त करेंगे।

अधिकारी ने कहा, "उम्मीद की जा रही है कि आसियान-भारत शिखर सम्मेलन से जुड़ी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री इस संबंध में घोषणा कर सकते हैं।" आसियान के साथ अभी भारत का 76 अरब डॉलर का व्यापार होता है। अधिकारी ने कहा, "हमारा 2015 तक 100 अरब डॉलर और 2022 तक 200 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य है।"

भारत और आसियान इस साल के आखिर तक निवेश और सेवा क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। दोनों पक्षों के बीच वस्तु क्षेत्र में यह समझौता पहले से ही लागू है।

प्रधानमंत्री पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। गतिशील एशिया प्रशांत क्षेत्र में यह शांति, स्थायित्व का एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में भारत के महत्वपूर्ण हित निहित हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता व समृद्धि को बढ़ावा देने वाला सबसे महत्वपूर्ण मंच है।

भारत 2015 तक एक आर्थिक समुदाय के विकास के लिए आसियान और इसके एफटीए साझेदारों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी चाहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "ब्रुनेई दारुस्सलाम व इंडोनेशिया की मेरी यात्रा हमारी विदेश नीति में सबसे आगे रहे पूरब के साथ हमारे आदान-प्रदान को और गहन बनाएगा, और एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि व स्थिरता में योगदान करेगा।"

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय वैश्विक शिक्षा और प्रतिभा के केंद्र के रूप में स्थापित करने की कोशिशों में भी सहयोगी है। विश्वविद्यालय में अगले साल से शैक्षिक सत्र शुरू होना है।

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