मालदीव और भारत के रिश्तों में आई खटास
नई दिल्ली:
मालदीव की सरकार ने भारत को बड़ा झटका देते हुए उसे अपने देश से सैन्य हैलिकॉप्टर और लोगों को वापस बुलाने को कहा है. सूत्रों के अनुसार मालदीव ने यह फैसला बीते कुछ समय से चीन के साथ अपनी बढ़ती नजदीकियों को ध्यान में रखते हुए लिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव सरकार के इस फैसले के बाद मालदीव को लेकर भारत व चीन की रस्साकस्सी में और बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है. गौरतलब है कि भारत बीते कई दशकों से मालदीव के साथ कई क्षेत्र में साझेदार रहा है. मालदीव का भारत के साथ उसके रिश्तों को लेकर लिए गए इस फैसले के बाद यह साफ है कि वह चीन की तरफ अपना झुकाव दिन पर दिन बढ़ा रहा है.
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इसकी एक वजह से चीन द्वारा मालदीव में किए जा रहे विकास कार्य भी हैं. खबर है कि चीन मालदीव में बड़े स्तर पर सड़के, ब्रिज और बड़े एयरपोर्ट बनाने में जुटा है. ध्यान हो कि कुछ समय पहले ही भारत ने मालदीव में यामीन सरकार की तरफ से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान और आपातकाल का विरोध किया था. उस समय मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल यामीन के विरोधियों ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप तक की मांग की थी. ऐसा माना जा रहा है कि भारत के इस हस्तक्षेप के बाद ही मालदीव में भारत विरोधी माहौल तैयार हुआ.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में मालदीव के दूत अहमद मोहम्मद ने बताया कि भारत ने जो दो हेलिकॉप्टर दिए हैं उनका इस्तेमाल अब नहीं किया जा रहा है. उनके अनुसार अब मालदीव इन हेलिकॉप्टर द्वारा किए जाने वाले कामों को करने के लिए खुद सक्षम है. हालांकि उनके मुताबिक भारत और मालदीव अभी भी इस आइलैंड वाले देश के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन की सामूहिक निगरानी कर रहे हैं. भारत के दक्षिण पश्चिम में 400 किलोमीटर दूर का यह देश चीन और मिडल ईस्ट के बीच दुनिया के सबसे व्यस्त जहाजी मार्ग के काफी करीब है.
VIDEO: भारत और मालदीव के रिश्तों कैसे होंगे बेहतर?
मालदीव में भारत के हेलिकॉप्टर के अलावा 50 मिलिटरी पर्सनल भी तैनात हैं. इनमें पायलट और मेंटनेंस क्रू भी शामिल हैं जिनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है. इसके बावजूद भारत ने उन्हें मालदीव से वापस नहीं बुलाया है. इंडियन नेवी के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि दो हेलिकॉप्टर और हमारे आदमी अभी भी वहीं हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि विदेश मंत्रालय इस मामले को देख रहा है.
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इसकी एक वजह से चीन द्वारा मालदीव में किए जा रहे विकास कार्य भी हैं. खबर है कि चीन मालदीव में बड़े स्तर पर सड़के, ब्रिज और बड़े एयरपोर्ट बनाने में जुटा है. ध्यान हो कि कुछ समय पहले ही भारत ने मालदीव में यामीन सरकार की तरफ से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान और आपातकाल का विरोध किया था. उस समय मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल यामीन के विरोधियों ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप तक की मांग की थी. ऐसा माना जा रहा है कि भारत के इस हस्तक्षेप के बाद ही मालदीव में भारत विरोधी माहौल तैयार हुआ.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में मालदीव के दूत अहमद मोहम्मद ने बताया कि भारत ने जो दो हेलिकॉप्टर दिए हैं उनका इस्तेमाल अब नहीं किया जा रहा है. उनके अनुसार अब मालदीव इन हेलिकॉप्टर द्वारा किए जाने वाले कामों को करने के लिए खुद सक्षम है. हालांकि उनके मुताबिक भारत और मालदीव अभी भी इस आइलैंड वाले देश के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन की सामूहिक निगरानी कर रहे हैं. भारत के दक्षिण पश्चिम में 400 किलोमीटर दूर का यह देश चीन और मिडल ईस्ट के बीच दुनिया के सबसे व्यस्त जहाजी मार्ग के काफी करीब है.
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मालदीव में भारत के हेलिकॉप्टर के अलावा 50 मिलिटरी पर्सनल भी तैनात हैं. इनमें पायलट और मेंटनेंस क्रू भी शामिल हैं जिनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है. इसके बावजूद भारत ने उन्हें मालदीव से वापस नहीं बुलाया है. इंडियन नेवी के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि दो हेलिकॉप्टर और हमारे आदमी अभी भी वहीं हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि विदेश मंत्रालय इस मामले को देख रहा है.
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