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This Article is From May 05, 2013

मलेशिया में आम चुनाव में कांटे की टक्कर

कुआलालंपुर: ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अब तक के सर्वाधिक कड़े चुनावी मुकाबले में मलेशिया के लोगों ने रविवार को अपने मत डाले। लगातार 56 सालों तक सत्ता में रहने के बाद इस आम चुनाव में सत्तारूढ़ बारीसन नेशनल गठबंधन को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है।

पूर्व उप प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के नेतृत्व में विपक्षी पकातन राकयत (जनता का गठबंधन) गठबंधन ने सत्ता में आने पर 100 दिनों के अंदर सभी उच्च शिक्षा ऋणों पर छूट देने और राजमार्गों से टोल टैक्स हटाने जैसी नीतियों को अपने एजेंडे में शामिल किया है। इब्राहिम को 15 साल पहले सत्ताधारी बीएन गठबंधन ने बाहर निकाल दिया था।

मुस्लिम बहुसंख्यक देश में कुल 1.32 करोड़ लोगों के पास मताधिकार हैं। प्रधानमंत्री नजीब रजक के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में यूनाइटेड मलयेज नेशनल आर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) का प्रभुत्व है और इसमें मलेशियन चाइनीज एसोसियेशन (एमसीए) एवं मलेशियन इंडियन कांग्रेस (एमआईसी) जैसे दल शामिल हैं।

करीब 2.9 करोड़ लोगों की आबादी वाले इस देश में 60 प्रतिशत मलय हैं, जो सभी मुस्लिम हैं। उनके अलावा 25 प्रतिशत चीनी मूल के लोग हैं, जो अधिकतर ईसाई एवं बौद्ध हैं और आठ प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं जो अधिकतर हिन्दू हैं। पिछले चुनावों में मूलनिवासी भारतीयों ने बड़ी संख्या में विपक्षी गठबंधन का समर्थन किया था।

एक स्वतंत्र सर्वेक्षण में सत्तारूढ़ गबंधन और विपक्षी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कही गई है। इस समय 222-सदस्यीय संसद में सत्तारूढ़ गठबंधन के सीटों की संख्या 135, जबकि विपक्षी गठबंधन की सीटों की संख्या 75 है। आज शाम चुनाव के परिणाम सामने आ जाएंगे और पता चल जाएगा कि मलेशिया के लोगों ने सत्तारूढ़ गठबंधन को एक बार फिर मौका दिया या इस बार विपक्षी गठबंधन में भरोसा दिखाया है।

प्रचार के दौरान हिंसा, आगजनी की कई खबरें आती रहीं। दो मामूली विस्फोट भी हुए। सरकार ने एशिया से 18 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को आमंत्रित किया है। देश के इतिहास में पहली बार मतदाताओं के लिए अमिट नीली स्याही का उपयोग किया जा रहा है।

चुनावों में अगर विपक्ष जीतता है, तो यह अनवर के लिए उल्लेखनीय वापसी होगी। वर्ष 1998 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था और भ्रष्टाचार तथा अन्य आरोपों के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था। उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताया था। वह 2004 में जेल से रिहा हुए और तब से ही विपक्ष के अघोषित नेता हैं। वर्ष 2008 के आम चुनावों में उनकी पार्टी ने संसद में एक-तिहाई से अधिक सीटें जीती थीं और कई राज्यों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था।

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