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This Article is From Apr 14, 2011

लीबिया : विद्रोहियों को मिसराता में 'कत्लेआम' की आशंका

त्रिपोली: लीबिया में विद्रोहियों ने कहा है कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने यदि मिसराता में और उसके आस पास मुअम्मार गद्दाफी की सेना पर हमले तेज नहीं किए तो सेना शहर में 'कत्लेआम' करने के लिए तैयार है। विद्रोहियों को हथियारों से लैस करने को लेकर नाटो देशों में सहमति नहीं बन पाई है। उधर, ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका यानी ब्रिक्स देशों के तीसरे शिखर सम्मेलन के आखिर में गुरुवार को संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया गया। घोषणा पत्र में लीबिया पर हमले रोकने की मांग करने से बचा गया है जबकि मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र में जारी उथल-पुथल को दूर करने के लिए बल प्रयोग की निंदा की गई है। समाचार चैनल 'अल जजीरा' ने विद्रोहियों के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया कि गद्दाफी की सेना ने गुरुवार को तटीय शहर पर रॉकेटों से भीषण हमले शुरू किए। इन हमलों में कम से कम 23 नागरिक मारे गए। ज्ञात हो कि देश के पश्चिमी भाग में स्थित तीसरे सबसे बड़े शहर मिसराता पर विद्रोहियों का नियंत्रण है। शहर पर नियंत्रण के लिए विद्रोहियों और सेना के बीच कई सप्ताह से लड़ाई जारी है। इस बीच विद्रोहियों ने स्पष्ट किया है कि यदि नाटो गद्दाफी की सेना पर हमले नहीं करता तो सेना उन्हें कुचल देगी। जबकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय लीबिया पर एक एकीकृत रूपरेखा के साथ आने के लिए संघर्ष कर रहा है। ज्ञात हो कि लीबिया के भविष्य पर चर्चा करने के लिए 'सम्पर्क समूह' की बुधवार को कतर की राजधानी दोहा में बैठक हुई। बैठक में समूह के देशों ने गद्दाफी को सत्ता तुरंत छोड़ने का आह्वान किया। जबकि लीबिया में अभियान नाटो को सौंपने के बाद अमेरिका परदे के पीछे चला गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति गेरार्ड लांग्वेट ने इस सप्ताह कहा था कि बिना अमेरिका के शामिल हुए गद्दाफी के हमलों को नहीं रोका जा सकता। स्पेन ने कहा है कि नाटो के अभियान में उसके शामिल होने की कोई योजना नहीं है। इस बीच लीबिया के भविष्य अपनी रणनीति को एक रूप देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून, यूरोपीय संघ की विदेश नीति की प्रमुख कैथरिन एश्टन, अरब लीग के अध्यक्ष अमर मूसा और अफ्रीकी संघ के अधिकारियों ने गुरुवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में बैठक की। इस मौके पर बान की मून ने लीबिया के हालात पर चिंता जाहिर की और वहां युद्धविराम लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लड़ाई ज्यादा समय तक चलने से देश में राजनीतिक हल निकालने में मुश्किल आएगी। लीबिया में विद्रोहियों को हथियारों से लैस करने के विकल्प पर भी नाटो के देशों में सहमति नहीं बन पाई है। राष्ट्रीय परिषद के प्रवक्ता अब्देल हाफिज घोगा ने कहा, "हथियार पाने के लिए हम मित्र देशों के साथ चर्चा कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हथियार पाने में हमें कोई दिक्कत होगी।" ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका यानी ब्रिक्स देशों के तीसरे शिखर सम्मेलन के आखिर में जारी संयुक्त घोषणा पत्र में लीबिया पर हमले रोकने की मांग करने से बचा गया है जबकि मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र में जारी उथल-पुथल को दूर करने के लिए बल प्रयोग की निंदा की गई है। चीन के सान्या शहर में गुरुवार को आयोजित शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर जारी संयुक्त घोषणा पत्र में मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम अफ्रीका क्षेत्र में फैली अशांति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि "बल प्रयोग से बचा जाना चाहिए।" ब्रिक्स देशों ने कहा है, "हमारा मानना है कि प्रत्येक देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।" चीन, रूस, भारत और ब्राजील ने पहले लीबिया पर हवाई हमलों की निंदा की थी। संगठन में नया शामिल हुआ दक्षिण अफ्रीका ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने लीबिया पर उड़ान वर्जित क्षेत्र लागू करने से सम्बद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद लीबिया पर हवाई हमले शुरू हो गए थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने रविवार को त्रिपोली दौरे के समय नाटो से हवाई हमले रोकने को कहा था। सान्या घोषणा पत्र में कहा गया है, "हम मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अफ्रीका में जारी उथल-पुथल से बेहद चिंतित हैं और सचमुच चाहते हैं कि प्रभावित देशों में शांति, स्थायित्व, समृद्धि और प्रगति हो तथा अपनी जनता की मुनासिब अकांक्षाओं के अनुरूप विश्व में अपनी प्रतिष्ठा और गौरव हासिल करें।" न्यूजीलैंड ने उत्तर अफ्रीकी देश लीबिया में जारी संघर्ष से प्रभावित लोगों की मानवीय सहायता के लिए 7,85,000 अमेरिकी डॉलर की राशि देने की घोषणा की है।  समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री मुरै मैकुली ने कहा, "संघर्ष जारी रहने के कारण लीबिया के नागरिकों की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है।" पिछले करीब पांच सप्ताह से जारी संघर्ष के कारण करीब 3,50,000 लोग अपने घर-परिवार छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। संघर्ष के दौरान हजारों लोगों के मारे जाने की सूचना है लेकिन इस बारे में कोई पुख्ता रिपोर्ट नहीं मिली है।

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