हाफिज सईद का फाइल फोटो
लाहौर:
पाकिस्तान सरकार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाने का निर्देश देने की मांग वाली जमात-उद दावा प्रमुख और 26/11 के साजिशकर्ता हाफिज सईद की रिट याचिका को लाहौर हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
लाहौर हाई कोर्ट (एलएचसी) के मुख्य न्यायाधीश सैयद मंसूर अली ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ''याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मामला अदालत के सामने निर्णय योग्य नहीं है और राजनीतिक व्यवस्था के अधीन आता है.'' अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया.
पिछले महीने सईद के वकील ए के डोगर की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था. इस संबंध में डोगर ने कहा कि सईद इंट्रा-कोर्ट में फैसले को चुनौती देगा. इससे पहले सईद ने अपनी याचिका में कहा था कि भारत, कश्मीरियों पर अत्याचार करता रहा है और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करता रहा है. उसने आरोप लगाया कि भारतीय बल बेगुनाह कश्मीरियों को मार रहे हैं और उनके जीवन को बर्बाद कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि मुंबई आतंकी हमले के आरोपी सईद पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम है. उसने कहा कि भारत ने कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार भी नहीं दिया.
उसकी याचिका को पेश करते हुए वकील डोगर ने अपनी दलीलों में कहा, ''पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले गये थे और ऐलान किया था कि अगर कश्मीरी, पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं तो भारत, अपनी सेना कश्मीर में नहीं भेजेगा, हालांकि भारत सरकार ने बाद में अपने वचन को तोड़ दिया.''
विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए डोगर ने कहा कि अगर किसी मुद्दे में जनहित शामिल है तो अदालत ऐसे राजनीतिक और विदेशी मुद्दों में हस्तक्षेप कर सकती है. उन्होंने कहा, ''भारत सेना बेगुनाह कश्मीरियों को मार रही है लेकिन पाकिस्तान सरकार बयान जारी करने के अलावा व्यावहारिक रूप से कुछ नहीं कर रही.''
हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए डोगर ने कहा कि एकल पीठ ने अपने आदेश में इस बात का संज्ञान नहीं लिया कि फरियादी शांति और सुरक्षा के साथ रहने तथा भारत के साथ एक और जंग के डर के बिना रहने के बुनियादी अधिकार को लागू करने की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा, ''ऊंची अदालतों की जिम्मेदारी है कि बुनियादी अधिकार के प्रावधानों को व्यावहारिक रूप से लागू करें और इस संबंध में निर्देश जारी करें.''
उल्लेखनीय है कि हाल में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के एक बेस पर 18 सितंबर को आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है. हमले में 18 जवान मारे गये थे. पाकिस्तान ने हमले में अपनी संलिप्तता के आरोपों को खारिज कर दिया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लाहौर हाई कोर्ट (एलएचसी) के मुख्य न्यायाधीश सैयद मंसूर अली ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ''याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मामला अदालत के सामने निर्णय योग्य नहीं है और राजनीतिक व्यवस्था के अधीन आता है.'' अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया.
पिछले महीने सईद के वकील ए के डोगर की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था. इस संबंध में डोगर ने कहा कि सईद इंट्रा-कोर्ट में फैसले को चुनौती देगा. इससे पहले सईद ने अपनी याचिका में कहा था कि भारत, कश्मीरियों पर अत्याचार करता रहा है और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करता रहा है. उसने आरोप लगाया कि भारतीय बल बेगुनाह कश्मीरियों को मार रहे हैं और उनके जीवन को बर्बाद कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि मुंबई आतंकी हमले के आरोपी सईद पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम है. उसने कहा कि भारत ने कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार भी नहीं दिया.
उसकी याचिका को पेश करते हुए वकील डोगर ने अपनी दलीलों में कहा, ''पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले गये थे और ऐलान किया था कि अगर कश्मीरी, पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं तो भारत, अपनी सेना कश्मीर में नहीं भेजेगा, हालांकि भारत सरकार ने बाद में अपने वचन को तोड़ दिया.''
विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए डोगर ने कहा कि अगर किसी मुद्दे में जनहित शामिल है तो अदालत ऐसे राजनीतिक और विदेशी मुद्दों में हस्तक्षेप कर सकती है. उन्होंने कहा, ''भारत सेना बेगुनाह कश्मीरियों को मार रही है लेकिन पाकिस्तान सरकार बयान जारी करने के अलावा व्यावहारिक रूप से कुछ नहीं कर रही.''
हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए डोगर ने कहा कि एकल पीठ ने अपने आदेश में इस बात का संज्ञान नहीं लिया कि फरियादी शांति और सुरक्षा के साथ रहने तथा भारत के साथ एक और जंग के डर के बिना रहने के बुनियादी अधिकार को लागू करने की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा, ''ऊंची अदालतों की जिम्मेदारी है कि बुनियादी अधिकार के प्रावधानों को व्यावहारिक रूप से लागू करें और इस संबंध में निर्देश जारी करें.''
उल्लेखनीय है कि हाल में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के एक बेस पर 18 सितंबर को आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है. हमले में 18 जवान मारे गये थे. पाकिस्तान ने हमले में अपनी संलिप्तता के आरोपों को खारिज कर दिया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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