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This Article is From Jan 07, 2011

भारत सीमापार आतंक का पीड़ित : कृष्णा

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने साल की शुरुआत में भारतीय विदेश नीति की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण, सहयोगी और मित्रतापूर्ण संबंध रखना चाहता है लेकिन वह आधिकारिक एजेंसियों द्वारा समर्थित सीमा पार आतंकवाद का पीड़ित है। अफगानिस्तान रवाना होने से एक दिन पहले कृष्णा ने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को लगातार खतरा बना हुआ है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के आगामी संभावित भारत दौरे से पहले कृष्णा ने शुक्रवार को कहा कि वह आधिकारिक एजेंसियों द्वारा समर्थित सीमा पार आतंकवाद का पीड़ित है। इसके अलावा विदेश मंत्री ने एक बार फिर पाकिस्तान को 26/11 हमले के षड्यंत्रकारियों को सजा दिलाने की याद दिलाई। विदेश मंत्री कृष्णा ने कहा, "हम पिछले दो दशक से सबसे क्रूरतम सीमा पार आतंकवाद के पीड़ित रहे हैं। इस आतंकवाद को आधिकारिक एजेंसियों से समर्थन मिलता है और इसे हमारे खिलाफ राजनीतिक और आर्थिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।" अगले तीन महीनों में कुरैशी के भारत आने की संभावना है। कृष्णा ने पाकिस्तान से बातचीत की इच्छा जताई लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को पाकिस्तान से उम्मीद है कि वह अपने आतंक विरोधी आश्वासनों को पूरा करेगा। कृष्णा ने कहा, "भारत अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण, सहयोगी और मित्रतापूर्ण संबंध रखना चाहता है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने लगातार कहा है कि हम बातचीत के जरिए सभी मसलों को हल करने के लिए तैयार हैं।" कृष्णा ने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय दूतावासों को लगातार खतरा बना हुआ है लेकिन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, "हम अपने दूतावास और वाणिज्य दूतावासों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए अफगान सरकार के साथ काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति करजई ने हमें सुरक्षा का पूर्ण आश्वासन दिया है।" काबुल में भारतीय दूतावास के अलावा, भारत के जलालाबाद, कंधार, मजारे-ए-शरीफ और हेरात में वाणिज्य दूतावास हैं। गौरतलब है कि जुलाई 2008 में पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकी संगठनों द्वारा भारतीय दूतावास को निशाना बनाकर किए गए हमले में दो राजनयिक मारे गए थे। अफगान नेतृत्व के साथ होने वाली कृष्णा की बातचीत के दौरान अफगानिस्तान में भारतीय परिसंपत्तियों और पुनर्निर्माण परियोजनाओं में लगे तकरीबन 4,000 भारतीयों की सुरक्षा का मामला प्रमुखता से उठेगा। भारत को अफगानिस्तान छोड़ने के लिए बाध्य करने के वास्ते किए गए जा रहे कथित पाकिस्तानी प्रयासों के बीच कृष्णा के इस दौरे से इस युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण में भारत के शामिल रहने के संकल्प को बल मिलेगा। कृष्णा तालिबान को दोबारा साथ जोड़ने के बारे में भारत की आशंकाएं भी दोहरा सकते हैं। भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण कार्यों मसलन सड़क, रेलवे से लेकर बिजली केंद्र और बुनियादी परियोजनाओं के लिए 1.3 अरब डॉलर की राशि लगाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। पाकिस्तान से प्याज के आयात के मुद्दे पर कृष्णा ने कहा कि भारत पाकिस्तान से लगातार सम्पर्क बनाए हुए है। इससे पहले गुरुवार को सरकार ने पाकिस्तान से आग्रह किया था कि वह वाघा सीमा से सड़क मार्ग से प्याज की आपूर्ति रोकने के फैसले पर पुनर्विचार करे। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान के अधिकारियों से आग्रह किया था कि सड़क मार्ग से आपूर्ति के लिए जितने प्याज के लिए पहले से ऑर्डर दिए जा चुके हैं, उसकी आपूर्ति की जाए। इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान में प्याज की कीमत में तेज वृद्धि की शिकायत मिलने पर पाकिस्तान ने वाघा सीमा से होकर भारत आ रहे प्याज से भरे 300 ट्रकों को रोक लिया था। पासपोर्ट को लेकर होने वाली समस्याओं के संबंध में कृष्णा ने कहा कि पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने और आवेदकों की समस्याएं दूर करने के लिए जल्द ही पासपोर्ट अदालतें शुरू की जाएंगी। उन्होंने कहा, "पासपोर्ट जारी होने में ज्यादातर देरी अपूर्ण आवेदन पत्रों और पुलिस प्रमाणीकरण में देरी के चलते होती है।" पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कृष्णा ने खुद को विदेश मंत्री पद से हटाए जाने से जुड़ी अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बारे में फैसला लेना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। विदेश मंत्रालय से भी बड़ी जिम्मेदारी सम्भालने के सवाल पर कृष्णा ने कहा, "यह अटकलें मीडिया के कुछ भद्रजनों की हैं। आप अटकलें लगाते रहें और हम उसके बारे में पढ़ते और देखते रहें।"

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