नई दिल्ली:
पाकिस्तान में एक बड़े आतंकवादी हमले में पंजाब प्रांत के गृहमंत्री शुजा खानज़ादा की मौत हो गई है। हमले के वक्त खानज़ादा एक मीटिंग में थे। शुजा के साथ 15 और लोग मारे गए जिनमें पुलिस का एक डीएसपी हज्रो सैय्यद शौकत शाह भी शामिल हैं। उन पर हमला पाकिस्तान के अटक शहर के उनके पैतृक गांव शादी खान में हुआ। आत्मघाती धमाका इतना बड़ा था कि उनके दफ्तर की पूरी इमारत जमींदोज़ हो गई। शुजा खानज़ादा यहां अपने पार्टी के दफ्तर में खुली कचहरी लगा कर लोगों की शिकायतें सुन रहे थे।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गृहमंत्री रिटायर्ड कर्नल शुजा खानज़ादा को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। पहले वे सेना में रह कर आतंकवादियों के खिलाफ लड़ते रहे, फिर पिछले साल अक्टूबर में जब उन्हें पंजाब का गृहमंत्री बनाया गया तो वे प्रांत से आतंकवादियों के सफाए में लग गए। उनके निशाने पर ख़ास तौर पर लश्कर-ए-झांगवी था, जिसकी पंजाब में गहरी पैठ है। इतनी गहरी कि पिछले गृहमंत्री राना सानाउल्लाह इस तंजीम के खिलाफ कार्रवाई से बचते रहे। उन पर आतंकी संगठन से ताल्लुकात रखने का आरोप भी लगा, लेकिन उनसे मंत्रालय तब छीना गया जब मॉडल टाउन में पाकिस्तान आवामी तहरीक के 14 कार्यकर्ता पुलिस के साथ झड़प में मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए।
शुजा पहले सेना में कर्नल थे। गृहमंत्री के तौर पर उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। वे आतंकवाद खत्म करने के लिए बनाए गए नेशनल एक्शन प्लान के पंजाब के कमांडर भी थे। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
पिछले ही महीने सुरक्षा बलों की कार्रवाई में लश्कर-ए-झांगवी का मुखिया मलिक इशाक मारा गया था। शुजा के कार्यकाल में ही मंत्रियों पर हमले की साजिश रचने वाले लश्कर-ए- झांगवी के दर्जनों आतंकवादियों को पकड़ा गया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक शुजा को जान से मारने की कई धमकियां मिल चुकी थीं। शुजा के साथ यूं तो सुरक्षा का एक बड़ा दस्ता चलता था, लेकिन पाकिस्तान के कई पत्रकार बताते हैं कि जिस तरह से उनकी जान पर खतरा था, उस हिसाब से उनकी सुरक्षा व्यवस्था पुख़्ता नहीं थी।
पेशावर में बच्चों की हत्या बाद पाकिस्तान ने आतंकवादियों के हाथों यह एक और बड़ी कीमत चुकाई है, पंजाब के गृहमंत्री को खोकर। उम्मीद है पाकिस्तान इससे सबक लेगा और अपनी जमीन से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम उठाएगा।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गृहमंत्री रिटायर्ड कर्नल शुजा खानज़ादा को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। पहले वे सेना में रह कर आतंकवादियों के खिलाफ लड़ते रहे, फिर पिछले साल अक्टूबर में जब उन्हें पंजाब का गृहमंत्री बनाया गया तो वे प्रांत से आतंकवादियों के सफाए में लग गए। उनके निशाने पर ख़ास तौर पर लश्कर-ए-झांगवी था, जिसकी पंजाब में गहरी पैठ है। इतनी गहरी कि पिछले गृहमंत्री राना सानाउल्लाह इस तंजीम के खिलाफ कार्रवाई से बचते रहे। उन पर आतंकी संगठन से ताल्लुकात रखने का आरोप भी लगा, लेकिन उनसे मंत्रालय तब छीना गया जब मॉडल टाउन में पाकिस्तान आवामी तहरीक के 14 कार्यकर्ता पुलिस के साथ झड़प में मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए।
शुजा पहले सेना में कर्नल थे। गृहमंत्री के तौर पर उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। वे आतंकवाद खत्म करने के लिए बनाए गए नेशनल एक्शन प्लान के पंजाब के कमांडर भी थे। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
पिछले ही महीने सुरक्षा बलों की कार्रवाई में लश्कर-ए-झांगवी का मुखिया मलिक इशाक मारा गया था। शुजा के कार्यकाल में ही मंत्रियों पर हमले की साजिश रचने वाले लश्कर-ए- झांगवी के दर्जनों आतंकवादियों को पकड़ा गया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक शुजा को जान से मारने की कई धमकियां मिल चुकी थीं। शुजा के साथ यूं तो सुरक्षा का एक बड़ा दस्ता चलता था, लेकिन पाकिस्तान के कई पत्रकार बताते हैं कि जिस तरह से उनकी जान पर खतरा था, उस हिसाब से उनकी सुरक्षा व्यवस्था पुख़्ता नहीं थी।
पेशावर में बच्चों की हत्या बाद पाकिस्तान ने आतंकवादियों के हाथों यह एक और बड़ी कीमत चुकाई है, पंजाब के गृहमंत्री को खोकर। उम्मीद है पाकिस्तान इससे सबक लेगा और अपनी जमीन से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम उठाएगा।
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