पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि ‘कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन की नई लहर’ देख रहा है और उन्होंने राजनयिकों से दुनिया को यह बताने को कहा कि कश्मीर भारत का अंदरूनी विषय नहीं है.
उन्होंने अपने राजदूतों से अपील की कि वे दुनिया को यह संदेश दें कि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मामला नहीं है. प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि आज का पाकिस्तान पहले की तुलना में दुनिया से अधिक जुड़ा हुआ है.
विदेश मंत्रालय द्वारा विभिन्न स्थानों में पदस्थ पाकिस्तानी राजदूतों के आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक विवाद का हल और कश्मीरी अवाम की आकांक्षा पाकिस्तान की विदेश नीति की बुनियाद है.’’ शरीफ ने भारत को उकसाते हुए कहा, ‘‘आज कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन की नई लहर को देख रहा है.’’ उनका बयान ऐसे दिन आया है जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में शरीक होने यहां पहुंचे हैं.
शरीफ ने कहा कि यह आंदोलन कश्मीर के अवाम की तीसरी पीढ़ी की रगों में दौड़ रहा है और आठ जुलाई की घटना के जरिए दुनिया ने खुद इसकी गंभीरता देखी है. उन्होंने हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के कश्मीर में मारे जाने का जिक्र करते हुए यह कहा.
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीरी युवा आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए कुर्बानी के नये अध्याय लिख रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘गोलियों से उनकी आंखों की रोशनी चली गई लेकिन स्वतंत्रता की आकांक्षा उन्हें गंतव्य की ओर दिशानिर्देशित कर रही है.’’ शरीफ ने पाकिस्तानी दूतों से कहा कि राजदूतों को दुनिया को यह महसूस कराना चाहिए कि कश्मीर भारत की अंदरूनी समस्या नहीं है क्योंकि भारत ने पहले ही स्वीकार किया है कि यह विवादित क्षेत्र है और संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे भारत और पाक के बीच विवाद बताया है.
सम्मेलन में वाशिंगटन, बीजिंग, नई दिल्ली, अफगानिस्तान और संरा न्यूयॉर्क, संरा जिनिवा, वियना, ब्रसेल्स और मास्को सहित अन्य देशों में नियुक्त राजदूत शरीक हुए. विभिन्न मिशनों में नियुक्त दूतों के साथ अपनी परिदृष्टि साझा करते हुए शरीफ ने कहा कि अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ सभी द्विपक्षीय मुद्दों का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम संघर्ष नहीं झेल सकते. यदि हम किसी संघर्ष का हिस्सा बने तो सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में हमारी तरक्की प्रभावित होगी.’’
उन्होंने कहा कि ''पाकिस्तान सम्मान, गरिमा और समानता के आधार पर दुनिया में शांति चाहता है. ‘‘लेकिन दोस्ताना संबंधों की हमारी आकांक्षा को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए. हम पारस्परिक हितों, संप्रभुता और अन्य के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति का सम्मान करने में यकीन रखते हैं.’’ इससे पहले विदेश मामलों पर उनके सलाहकार सरताज अजीज ने समापन सत्र में कहा कि यह प्रदर्शित करना गलत होगा कि पाकिस्तान अलग थलग पड़ने का सामना कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि अशांति के मद्देनजर सम्मेलन के एजेंडा में कश्मीर मुख्य मुद्दा बना रहा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश के मुताबिक वह कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन को उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक अभियान में तेजी लाएंगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने अपने राजदूतों से अपील की कि वे दुनिया को यह संदेश दें कि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मामला नहीं है. प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि आज का पाकिस्तान पहले की तुलना में दुनिया से अधिक जुड़ा हुआ है.
विदेश मंत्रालय द्वारा विभिन्न स्थानों में पदस्थ पाकिस्तानी राजदूतों के आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक विवाद का हल और कश्मीरी अवाम की आकांक्षा पाकिस्तान की विदेश नीति की बुनियाद है.’’ शरीफ ने भारत को उकसाते हुए कहा, ‘‘आज कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन की नई लहर को देख रहा है.’’ उनका बयान ऐसे दिन आया है जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में शरीक होने यहां पहुंचे हैं.
शरीफ ने कहा कि यह आंदोलन कश्मीर के अवाम की तीसरी पीढ़ी की रगों में दौड़ रहा है और आठ जुलाई की घटना के जरिए दुनिया ने खुद इसकी गंभीरता देखी है. उन्होंने हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के कश्मीर में मारे जाने का जिक्र करते हुए यह कहा.
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीरी युवा आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए कुर्बानी के नये अध्याय लिख रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘गोलियों से उनकी आंखों की रोशनी चली गई लेकिन स्वतंत्रता की आकांक्षा उन्हें गंतव्य की ओर दिशानिर्देशित कर रही है.’’ शरीफ ने पाकिस्तानी दूतों से कहा कि राजदूतों को दुनिया को यह महसूस कराना चाहिए कि कश्मीर भारत की अंदरूनी समस्या नहीं है क्योंकि भारत ने पहले ही स्वीकार किया है कि यह विवादित क्षेत्र है और संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे भारत और पाक के बीच विवाद बताया है.
सम्मेलन में वाशिंगटन, बीजिंग, नई दिल्ली, अफगानिस्तान और संरा न्यूयॉर्क, संरा जिनिवा, वियना, ब्रसेल्स और मास्को सहित अन्य देशों में नियुक्त राजदूत शरीक हुए. विभिन्न मिशनों में नियुक्त दूतों के साथ अपनी परिदृष्टि साझा करते हुए शरीफ ने कहा कि अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ सभी द्विपक्षीय मुद्दों का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम संघर्ष नहीं झेल सकते. यदि हम किसी संघर्ष का हिस्सा बने तो सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में हमारी तरक्की प्रभावित होगी.’’
उन्होंने कहा कि ''पाकिस्तान सम्मान, गरिमा और समानता के आधार पर दुनिया में शांति चाहता है. ‘‘लेकिन दोस्ताना संबंधों की हमारी आकांक्षा को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए. हम पारस्परिक हितों, संप्रभुता और अन्य के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति का सम्मान करने में यकीन रखते हैं.’’ इससे पहले विदेश मामलों पर उनके सलाहकार सरताज अजीज ने समापन सत्र में कहा कि यह प्रदर्शित करना गलत होगा कि पाकिस्तान अलग थलग पड़ने का सामना कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि अशांति के मद्देनजर सम्मेलन के एजेंडा में कश्मीर मुख्य मुद्दा बना रहा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश के मुताबिक वह कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन को उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक अभियान में तेजी लाएंगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
नवाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, कश्मीर मुद्दा, पाकिस्तान की विदेश नीति, राजनाथ सिंह का पाकिस्तान दौरा, Nawaz Sharif, Pakistan Prime Minister, Kashmir Issue, Pakistan's Foreign Policy, Rajnath Singh In Pakistan