दिल्ली से लगभग आधी रात को उड़ान भर के, ग्वांगझू में फ़्लाइट बदल कर क़रीब पंद्रह घंटे बाद जब मेरा जहाज़ शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र (Autonomous Region) की राजधानी उरुमुची के पास पहुंचा तो सबसे पहले नज़र आए बर्फ़ से ढके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और गहरी खाइयां. गोबी रेगिस्तान भी यहीं है जो सहारा के बाद दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है.चीन सरकार के बुलावे पर मैं यहाँ आई हूं इसलिए एयरपोर्ट पर मुझे लेने दो लोग पहुंचे थे, एक सरकारी अधिकारी और एक इंटरप्रेटर. असल में यहां दूसरे देशों से आए लोगों को जो सबसे बड़ी समस्या होती है वो है भाषा की. बीजिंग में भी अंग्रेज़ी बेहद कम लोग बोलते हैं, फिर उरुमुची में क्या उम्मीद करते?
फिर चल पड़े हम कार से होटल का तरफ़. लेकिन यहां की जो तस्वीर दिखी उसकी शायद उम्मीद नहीं थी. आम तौर पर ये उइगर मुस्लिमों से जुड़ी ख़बरों के कारण सुर्ख़ियो में रहता है. कुछ साल पहले तक यहां पर अलगाववादी उइगरों के आतंकी हमले आम बात थे. मुझे शायद सब कुछ इतना सामान्य होने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन यहां तो थीं साफ़-सुथरी चमचमाती सड़कें और उनके किनारे फूल और पेड़. ऊंची-ऊंची हाई राइज़ इमारतें जैसे अपने यहां गुड़गांव में दिखती हैं. बीच-बीच में इंटरप्रेटर उरुमुची के तापमान से लेकर शहर के पानी के स्रोत तक पर हमारे सवालों के जवाब दे रहे थे. ये भी बताया कि शहर में जब से आतंकी हमले रुके हैं, सैलानी ख़ूब आने लगे हैं.
सच है कि शहर शांत दिखता है. अब तक यहां पर कहीं रास्ते में न कांटों की तारें नहीं दिखीं और न बेहिसाब सुरक्षाबलों की तैनाती. ट्रैफिक पुलिस के अलावा बाकी पुलिसव भी बहुत नहीं दिखे.
होटल पहुंच फ़ौरन कुछ शूट कर लेने के इरादे से उइगरों के जमावड़े वाले बाज़ार पहुंची. इतनी भीड़, इतनी चहल-पहल कि पूछो मत. कहीं मेवों के ढेर, कहीं जड़ी बूटियां बेचने की होड़. कहीं उइगर फ़ैशन की बहार तो कहीं वाद्य यंत्र दिखाते दुकानदार.
इंटरप्रेटर चांग ने कहा कि कुछ साल पहले यहां आतंकी हमला हुआ था. लोग मारे गए, घायल हुए पर अब डर नहीं है. हालांकि जो हुआ है उसे एक अलग तरह से ही दिखाया गया है. यहां के एक प्रदर्शनी केंद्र भी जिसमें आतंकवाद से प्रभावितों की तस्वीरों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. अधिकारियों के मुताबिक़ उइगर आतंकवाद कितना वीभत्स था उसकी ये तस्वीरें हैं. कहीं बम हमले, कहीं धारदार हथियारों से हमले सबकी तस्वीरें और जानकारी यहां मौजूद है. ज़ब्त किए गए हथियार भी यहाँ बड़ी संख्या में रखे गए हैं. कोशिश शायद ये बताने की है कि जो भी कार्रवाई की गई है उसकी ज़रूरत थी.
हालांकि अभी सवाल कई हैं, शायद इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे जब यहां के उइगरों से मिलने का मौक़ा मिलेगा.
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