
- शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में मोदी, पुतिन और शी की गर्मजोशी भरी मुलाकात चर्चा का विषय बनी
- अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका संबंधों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है
- अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाए हैं क्योंकि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने से इंकार किया है
चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच की मुलाकात बेहद चर्चा में रही. इस दौरान तीनों नेताओं को गर्मजोशी के साथ एक-दूसरे से गले मिलते और हाथ मिलाते हुए देखा गया. इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका संबंधों को 21वीं सदी की परिभाषित साझेदारी करार दिया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं.
मार्को रुबियों ने और क्या कुछ कहा
इसके साथ ही मार्को रुबियो ने कहा, "इस महीने हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं को उजागर कर रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं. इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप, रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों से लेकर यह हमारे दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता है जो इस यात्रा को गति देती है." अमेरिकी दूतावास ने यह बयान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की SCO समिट के दौरान मुलाकात से ठीक पहले सोशल मीडिया पर साझा किया.
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एससीओ में दिखा भारत, रूस का दोस्ताना
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत, चीन और रूस जैसे यूरेशियाई शक्तिशाली देश SCO समिट में एक मंच पर हैं. जबकि अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिए हैं क्योंकि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने से इनकार कर दिया था. भारत अमेरिका के इन टैरिफ को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक बता चुका है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा. SCO समिट में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को हाथ में हाथ डाले चलते देखा गया.
भारत के लिए यह समिट एक कूटनीतिक जीत
भारत के लिए यह समिट एक कूटनीतिक जीत भी साबित हुई, जब SCO के सदस्य देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और प्रधानमंत्री मोदी के उस संदेश को दोहराया कि “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं.” इस घोषणा के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे, जिससे यह भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है.
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