विज्ञापन
Story ProgressBack

जापान की शीर्ष अदालत ने जबरन नसबंदी के कानून को बताया असंवैधानिक, पीड़ितों से मांगी माफी

जापान सरकार ने स्वीकार किया है कि 1948 से 1996 के बीच लागू जबरन नसबंदी कानून के तहत लगभग 16,500 लोगों की जबरदस्ती नसबंदी की गई थी.

Read Time: 3 mins
जापान की शीर्ष अदालत ने जबरन नसबंदी के कानून को बताया असंवैधानिक, पीड़ितों से मांगी माफी
जापान सरकार ने माना है कि इस कानून के तहत करीब 16,500 लोगों की जबरन नसबंदी की गई थी.

जापान की शीर्ष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि 1948 से 1996 के बीच हजारों लोगों की जबरन नसबंदी करने की अनुमति देने वाला कानून असंवैधानिक है. इसकी जानकारी स्थानीय मीडिया द्वारा दी गई है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी निर्णय दिया कि मुआवजा दावा करने वालों पर 20 साल की समयसीमा नहीं लगाई जा सकती है क्योंकि वो कई दशकों से कष्ट को सह रहे हैं. ऐसे में शीर्ष अदालत का यह फैसला सभी पीड़ितों के लिए बड़ी जीत का क्षण है. 

1948 में लागू किया गया था ये कानून

जापान सरकार ने स्वीकार किया है कि 1948 से 1996 के बीच लागू जबरन नसबंदी कानून के तहत लगभग 16,500 लोगों की जबरदस्ती नसबंदी की गई थी. इस कानून ने डॉक्टरों को "निम्न गुणवत्ता वाले वंशजों की पीढ़ी को रोकने" के लिए वंशानुगत बौद्धिक विकलांगता वाले लोगों की नसबंदी करने की अनुमति दी थी. 

1953 के नोटिस में थी हैरान कर देने वाली बातें

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों के अनुसार, अन्य 8,500 लोगों की नसबंदी उनकी सहमति से की गई, हालांकि वकीलों का कहना है कि उन मामलों में भी व्यक्तियों पर पड़ने वाले दबाव के कारण "वास्तव में जबरदस्ती" नसबंदी की गई. 1953 के एक सरकारी नोटिस में कहा गया था कि ऑपरेशन के लिए शारीरिक संयम, एनेस्थीसिया और यहां तक ​​कि "धोखे से नसबंदी" भी की जा सकती है. 

2018 में कैसे चर्चा में आया ये काला इतिहास

1980 और 1990 के दशकों में जापान में ऑपरेशनों की संख्या धीमी हो गई थी, जिसके बाद 1996 में इस कानून को समाप्त कर दिया गया था. यह काला इतिहास 2018 में उस वक्त एक बार फिर सुर्खियों में आया जब 60 वर्षीय एक महिला ने सरकार पर इसी तरह की एक प्रक्रिया को लेकर मुकदमा दायर किया. इसमें उसने बताया था कि जब वह 15  वर्ष की थी तब उसे इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था. इसके बाद इसी तरह के कई मुकदमें दर्ज किए गए. 

सरकार ने लोगों से मांगी थी माफी और दिया था मुआवजा

सरकार ने अपनी ओर से "पूरे दिल से" माफी मांगी थी, जिसमें प्रत्येक पीड़ित को 3.2 मिलियन येन (आज लगभग 20,000 डॉलर) का एकमुश्त भुगतान निर्धारित किया गया था. हालांकि, पीड़ितों का कहना है कि उनकी पीड़ा की गंभीरता के लिए यह राशि बहुत कम है और इसलिए उन्होंने अदालत में अपनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. हाल के वर्षों में अधिकांश क्षेत्रीय न्यायालयों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि जबरन नसबंदी कानून जापान के संविधान का उल्लंघन है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
ब्रिटेन चुनाव: वोटिंग से पहले ही सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने मानी हार, बोले-लेबर पार्टी रिकॉर्ड जीत की ओर
जापान की शीर्ष अदालत ने जबरन नसबंदी के कानून को बताया असंवैधानिक, पीड़ितों से मांगी माफी
चीन के साथ सीमा विवाद मुद्दों के हल के लिए दोगुने प्रयास करने पर सहमति बनी : जयशंक
Next Article
चीन के साथ सीमा विवाद मुद्दों के हल के लिए दोगुने प्रयास करने पर सहमति बनी : जयशंक
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;