प्रतीकात्मक तस्वीर
कीबूत्स बरकाई (इस्राइल):
इस्राइल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के लिए देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं का हुजूम 'हरे कृष्ण, हरे राम' का जाप करते हुए इसके नगर कीबूत्स बरकाई में उमड़ पड़ा, जिनमें से अधिकतर यहूदी थे।
कीबूत्स बरकाई इस्राइल में कृषि आधारित सामूहिक बस्तियों में से एक है। यह छोटे से शहर हैरिश के पास स्थित है, जो अब भगवान कृष्ण के भक्तों की नगरी के तौर पर पहचानी जाती है, जिन्हें यहां 'हरे कृष्णा' के नाम से जाना जाता है।
अनेक श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ हैरिश में बस गए हैं और भारत के वृंदावन तथा मायापुर की अपनी यात्रा के दौरान जो कुछ भी उन्होंने सीखा, उसका यहां वे अनुसरण करते हैं।
इस उत्सव की धूमधाम ने अन्य लोगों का भी ध्यान आकर्षित किया। लोग इस महोत्सव की मनोहारी छटा को देखने का मौका नहीं गंवाना चाहते।
यरूशलम के पास स्थित एक छोटे से शहर से आने वाले कैरेन ने कहा, 'भारतीय संस्कृति के प्रति मेरा गहरा आकर्षण है। 14 साल पहले जब मेरा इससे परिचय हुआ, तब से अब तक मैं इस समारोह के आयोजन में शरीक होता हूं।'
श्रद्धालुओं ने कृष्ण के बचपन पर आधारित नाटिका का प्रदर्शन किया। इसके अलावा उन्होंने देर रात तबला, ढोलक की ताल पर भजन, नृत्य का आयोजन किया और घंटों वहां हारमोनियम, झाल तथा बांसुरी की तान सुनाई देती रही।
एक श्रद्धालु ने बताया कि इतने वर्षों में लोगों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस सांस्कृतिक आयोजन के दौरान वहां मौजूद अतिथियों को 108 शाकाहारी व्यंजनों से बना कृष्ण प्रसादम बांटा गया।
कीबूत्स बरकाई इस्राइल में कृषि आधारित सामूहिक बस्तियों में से एक है। यह छोटे से शहर हैरिश के पास स्थित है, जो अब भगवान कृष्ण के भक्तों की नगरी के तौर पर पहचानी जाती है, जिन्हें यहां 'हरे कृष्णा' के नाम से जाना जाता है।
अनेक श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ हैरिश में बस गए हैं और भारत के वृंदावन तथा मायापुर की अपनी यात्रा के दौरान जो कुछ भी उन्होंने सीखा, उसका यहां वे अनुसरण करते हैं।
इस उत्सव की धूमधाम ने अन्य लोगों का भी ध्यान आकर्षित किया। लोग इस महोत्सव की मनोहारी छटा को देखने का मौका नहीं गंवाना चाहते।
यरूशलम के पास स्थित एक छोटे से शहर से आने वाले कैरेन ने कहा, 'भारतीय संस्कृति के प्रति मेरा गहरा आकर्षण है। 14 साल पहले जब मेरा इससे परिचय हुआ, तब से अब तक मैं इस समारोह के आयोजन में शरीक होता हूं।'
श्रद्धालुओं ने कृष्ण के बचपन पर आधारित नाटिका का प्रदर्शन किया। इसके अलावा उन्होंने देर रात तबला, ढोलक की ताल पर भजन, नृत्य का आयोजन किया और घंटों वहां हारमोनियम, झाल तथा बांसुरी की तान सुनाई देती रही।
एक श्रद्धालु ने बताया कि इतने वर्षों में लोगों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस सांस्कृतिक आयोजन के दौरान वहां मौजूद अतिथियों को 108 शाकाहारी व्यंजनों से बना कृष्ण प्रसादम बांटा गया।
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